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नेपाल में सियासी संकट गहरायाः सुप्रीम कोर्ट ने ओली-प्रचण्ड से छीन लिया नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का नाम

Nepal Political Crisis Deepens, Supreme Court Snatched Party Title

बुधवार 10 मार्च को जब नेपाल की संसद का सत्र शुरू होगा तो प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और पुष्प कम दहल दोनों अलग-अलग पार्टियों के नेता होंगे। ठीक वैसे ही जैसे वो 2018 से पहले थे। केपी शर्मा ओली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के नेता होंगे और प्रचण्ड नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओइस्ट सेंटर के नेता होंगे। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी से इन दोनों में से किसी का कोई अधिकार नहीं होगा। नपाल की सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि दोनों पार्टियों का विलय ही असंवैधानिक था। क्यों कि एक ही नाम से दो पॉलिटिकल पार्टियों को नेपाल का संविधान इजाजत नहीं देता। 

ऋषिराम कात्याल नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष

 नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और उनके धुर विरोधी पुष्प कमल दहल प्रचंड की लड़ाई के बीच सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के हाथ से इनकी पार्टी का नाम भी छीन लिया है। नेपाल की सर्वोच्च अदालत ने नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी ने नाम का वास्तविक उत्तराधिकारी ऋषिराम कत्याल को घोषित करते हुए उन्हें यह टाइटल सौंप दी है। दरअसल, 2018 में ओली और प्रचंड ने अपनी-अपनी पार्टी का विलय करते हुए नेपाली चुनाव आयोग में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नाम से रजिस्ट्रेशन करवाया था। जबकि, उस समय ऋषिराम कात्याल ने नेपाल में इस नाम की पार्टी को पहले से ही रजिस्टर्ड करा रखा था।

एक नाम से दो दल नहीं हो सकते

ऋषिराम कात्याल ने साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर करते हुए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) और माओइस्ट सेंटर के धड़े के विलय को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा था कि नेपाल का चुनावी कानून एक ही नाम से दो दलों के अस्तित्व को मंजूरी नहीं देता है। 2018 के पहले नेपाल में केपी शर्मा ओली नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) के नेता थे, जबकि पुष्प कमल दहल प्रचंड नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओइस्ट सेंटर की कमान संभालते थे।

 

तीन साल से सुप्रीम कोर्ट में लंबित था मामला

जस्टिस कुमार रेगमी और बोम कुमार श्रेष्ठ ने रविवार को लगभग तीन साल पुराने मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि जब समान नाम वाली पार्टी पहले से ही पंजीकृत है तो उस नाम से किसी नई पार्टी का पंजीकरण कराया ही नहीं जा सकता है। कोर्ट के फैसले के बाद कात्याल के वकील दंडपाणि पॉडेल ने अपनी जीत पर खुशी जताई। 2017 के नेपाल के चुनाव में यूएमएल ने 121 और माओवादी सेंटर ने 53 सीटें जीती थीं।

चुनाव आयोग के सामने फिर से करना होगा आवेदन

नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) और नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (माओइस्ट सेंटर) अब विलय के पहले के चरण में लौट आए हैं। अगर उन्हें फिर से खुद की पार्टियों का विलय करवाना है तो उन्हें पोलिटिकल पार्टी एक्ट के तहत चुनाव आयोग के सामने नया आवेदन करना पड़ेगा। इस फैसले का सीधा अर्थ यह हुआ कि नेपाल में अब ओली और प्रचंड की पार्टियां फिर से अलग-अलग हो चुकी हैं।

ओली और प्रचण्ड में समझौता असंभव

बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले का नेपाल की राजनीति में गहरा असर देखने को मिलेगा। साल 2018 में ओली और प्रचंड के बीच दोस्ती की जड़ें काफी मजबूत थीं। यही कारण था कि दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी पार्टियों का विलय करते हुए साथ में सत्ता पाने की कोशिश की थी। अब वर्तमान में दोनों ही नेता एक दूसरे के धुर विरोधी हो गए हैं। ऐसे में बहुत कम संभावना है कि दोनों पार्टियां फिर से विलय के लिए आवेदन करें।