नेपाल की सियासत में 21 मई की देर रात एक बड़ा परिवर्तन हुआ है। राष्ट्रपति बिद्या देवी भण्डारी ने ससंद को भंग कर नेपाल में मध्यावधि चुनाव का ऐलान कर दिया है। कुछ लोग कह रहे है कि ये ओली की हार है। लेकिन असल में देखा जाए तो ओली सत्ता अपने हाथ में रखने में कामयाब रहे हैं। चुनाव तक ओली ही कार्यवाहक प्रधानमंत्री रहेंगे।
इससे पहले राष्ट्रपति भण्डारी के आदेश पर विपक्षीदलों की ओर से शेर बहादुर देउबा ने 145 सांसदों के समर्थन की चिट्ठी के साथ सरकार बनाने का दावा पेश किया तो उनसे पहले ओली ने 153 सांसदों के समर्थन कर चिट्ठी राष्ट्रपति को सौंपी। विपक्ष की ओर से पेश किए गए समर्थन की चिट्ठी पर जिन सांसदों के हस्ताक्षर थे उनमें से कुछ ने राष्ट्रपति को बताया कि उन्होंने देउबा को प्रधानमंत्री बनाने के लिए समर्थन नहीं दिया है। उनके समर्थन का दावा गलत है।
इसके बाद राष्ट्रपति बिद्यादेवी भण्डारी ने संविधान विशेषज्ञों को बुलाकर राजनीतिक संकट के समाधान के लिए चर्चा की और देर रात सदन भंग कर मध्यावधि चुनाव का ऐलान कर दिया। राष्ट्रपति की अधिसूचना के मुताबिक नेपाल में अब 12और 19नवंबर को मध्यावधि चुनाव होंगे।