सीपीएन-यूएमएल के अध्यक्ष के केपी शर्मा ओली एक बार फिर से नेपाल के प्रधानमंत्री बन गए हैं। राष्ट्रपति विद्यादेवी भंडारी ने शुक्रवार को कोपी ओली को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। ओली ने संसद में विश्वासमत खोने के बाद 10 मई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। राजतीकि उठापठक के बाद गुरुवार रात को उन्हें प्रधनमंत्री नियुक्त कर दिया था। और विपक्षी दलों की सरकार बनाने के दावों की हवा निकल गई।
बताते चलें कि, इससे पहले वह 11 अक्टूबर, 2015 से तीन अगस्त, 2016 तक और फिर 15 फरवरी, 2018 से 13 मई, 2021 तक प्रधानमंत्री रहे थे। राष्ट्रपति ने शीतल निवास में शुक्रवार को स्थानीय समयानुसार दोपहर ढाई बजे एक समारोह में ओली को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। सोमवार को सदन में ओली के विश्वास मत हार जाने के बाद राष्ट्रपति ने विपक्षी पार्टियों को बहुमत के साथ नई सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने के लिहाजा से गुरुवार रात 9 बजे तक का समय दिया था।
नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी दावेदारी रखने के लिए सदन में पर्याप्त मत मिलने की उम्मीद थी। उन्हें सीपीएन-माओइस्ट सेंटर के अध्यक्ष पुष्पकमल दहल 'प्रचंड का समर्थन प्राप्त था। लेकिन ओली के साथ अंतिम वक्त में बैठक करने के बाद माधव कुमार नेपाल के रुख बदलने पर देउबा का अगला प्रधानमंत्री बनने का सपना टूट गया। बहुतम परीक्षण में ओली की हार के बाद राष्ट्रपति ने नई सरकार गठन करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 76 (2) को लागू किया था। इसके तहत सभी दलों को सरकार बनाने का दावा पेश करने का मौका दिया गया लेकिन निर्धारित समय में किसी पार्टी के आगे नहीं आने से अनुच्छेद 76 (3) के तहत ओली को फिर से सरकार बनाने का मौका मिला है। हालांकि, 30 दिन के भीतर उन्हें फिर से विश्वासमत का सामना करना होगा।
ओली की अध्यक्षता वाली सीपीएन-यूएमएल 121 सीटों के साथ 271 सदस्यीय प्रतिनिधि सभा में सबसे बड़ी पार्टी है। वर्तमान में सरकार बनाने के लिए 136 सीटों की जरूरत है। वहीं, अगर ओली बहुतम साबित नहीं कर पाते हैं तो एक बार फिर से अनुच्छेद 72 (2) प्रभावी होगा, यदि कोई सदस्य यह दावा करता है कि उसे बहुमत मिल सकता है तो राष्ट्रपति ऐसे सदस्य को प्रधानमंत्री नियुक्त करेंगे। ऐसे में प्रधानमंत्री को भी 30 दिन के भीतर बहुमत साबित करना होगा और इसमें विफल रहने पर सदन को भंग कर दिया जाएगा।
गौरतलब हो कि, ओली के तीसरी बार सीएम बनने के बाद वो भारत संग आई नेपाल के रिश्ते में खटास को कम करने की कोशिश करेंगे। भारत-नेपाल हमेसा से दोस्त रहे हैं लेकिन पिछले कुछ समय से चीन के उकसावे में आकर नेपाल भी उलूल जुलुल हरकते कर रहा है। दरअसल, लद्दाख में जब चीन और भारत के सैनिक आमने सामने थे तो चीन ने उकसावे पर नेपाल ने भी भारत के साथ सीमा गतिरोध किया था। इस बीच नेपाल ने नया नक्शा जारी करते हुए भारत के लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा को अपने क्षेत्र में दिखाया है।