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नेपाली पीएम को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने संसद बहाल की, ओली के सारे फैसले रद्द

Nepal Supreme Court Reinstates Nepalese Parliament

 

नेपाली प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को बहुत बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति के आदेश को रद्द करते हुए संसद को फिर से बहाल करने का आदेश दिया है। इसी के साथ नेपाल में एक बार फिर सियासी घमासान छिड़ने के आसार पैदा हो गए हैं। मुख्य न्यायाधीश चोलेंद्र शमसेर की संवैधानिक पीठ ने इस बीच प्रधानमंत्री ओली ने जो भी फैसले और कार्यवाही की हैं वो सब रद्द माने जाएंगे।

बीते 20 दिसंबर, 2020 को संसद भंग होने के बाद प्रधानमंत्री केपी ओली के विभिन्न संवैधानिक निकायों को की गई सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने उस अध्यादेश को भी रद्द कर दिया है जिसे ओली ने इन नियुक्तियों के लिए पारित किया था। दरअसल किसी भी संवैधानिक निकाय में नियुक्ति करने के लिए एक बैठक होती है। जिसे बाइपास करने के लिए ओली ने यह अध्यादेश पारित किया था।

20 दिसंबर, 2020 को राष्ट्रपति बिद्या देव भंडारी ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर संसद को भंग कर दिया था। प्रधान मंत्री ओली ने कहा था कि उन्हें संसद भंग करने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि उन्हें अपनी पार्टी के भीतर नेता ठीक से काम करने नहीं दे रहे थे। तब भी नेपाल के कई संविधान विशेषज्ञों ने कहा था कि ओली को संसद भंग करने का अधिकार ही नहीं है।

ओली के इस फैसले के विरोध में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के मुख्य सचेतक देव प्रसाद गुरुंग सहित कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में 13 रिट याचिकाएं दायर की थीं। इन सभी याचिकाओं ने नेपाली संसद के निचले सदन संसद की बहाली की मांग की गई थीं।