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2020 में विस्थापितों की संख्या 1.5 करोड़ तक पहुंची, बदतर हालात अभी बाकी

2020 में विस्थापितों की संख्या 1.5 करोड़ तक पहुंची, बदतर हालात अभी बाकी

इस साल के पहले छह महीनों में संघर्ष, हिंसा और प्राकृतिक आपदाओं से लाखों लोग अपने घरों से उखड़ चुके हैं। स्विट्जरलैंड स्थित आंतरिक विस्थापन निगरानी केंद्र (IDMC) ने जनवरी और जून के बीच 120 से अधिक देशों में लगभग 1.5 करोड़ नए आंतरिक विस्थापन को दर्ज किया है।

बुधवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार चक्रवात, बाढ़, जंगलों की आग और टिड्डियों के प्रकोप जैसी प्राकृतिक आपदायें, इनमें से एक बहुत बड़ी संख्या या 98 लाख लोगों के विस्थापन के लिए जिम्मेदार हैं। आईडीएमसी ने यह भी पाया कि मुख्य रूप से सीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और बुर्किना फासो में युद्ध और हिंसा से 48 लाख लोग विस्थापन के लिए बाध्य हुये हैं।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि 2019 के अंत तक अनुमानित 5.8 करोड़ व्यक्ति आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों (आईडीपी) के रूप में रह रहे थे। आने वाले महीनों में अत्यधिक चरम मौसमी परिस्थितियों और चल रही हिंसा के कारण कई लाख लोगों को अपने घरों को छोड़ने के लिये मजबूर होने की आशंका है।

आईडीएमसी की निदेशक एलेक्जेंड्रा बिलाक ने कहा कि इस वर्ष के पहले 6 महीनों में दर्ज किए गए चौंका देने वाले आंकड़े दुनिया भर में विस्थापन के लगातार बढ़ने का एक साफ प्रमाण हैं। इसके साथ ही कोविड -19 महामारी ने स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच कम कर दी है और विस्थापित समुदायों के लिए आर्थिक कठिनाई और सुरक्षा जोखिम बहुत बढ़ गए हैं।

आईडीएमसी ने पाया है कि संघर्ष और हिंसा के कारण मुख्य रूप से अफ्रीका और मध्य पूर्व में 48 लाख नए आंतरिक विस्थापन हुये हैं, जो 2019 की पहली छमाही की तुलना में 10 लाख ज्यादा हैं।

रिपोर्ट के अनुसार साल के पहले 3 तीन महीनों में इदलिब में सीरियाई सेना द्वारा फिर से कब्जे ने देश में 2011 में गृहयुद्ध शुरू होने के बाद से सबसे बड़े विस्थापन को जन्म दिया, जिसमें जून के अंत तक लगभग 15 लाख नए विस्थापित बने। डीआरसी में 14 लाख लोग और बुर्किना फासो में 419,000 विस्थापन दर्ज किए गए हैं। जहां आपराधिक गिरोहों, जिहादियों और स्थानीय मिलिशिया के बीच लड़ाई ने देश के अधिकांश हिस्से को संकट में डाल दिया है।

आईडीएमसी ने अकेले चक्रवात अम्फान को 2020 की पहली छमाही में विस्थापन की सबसे बड़ी अकेली घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है, जिसके कारण भारत और बांग्लादेश में 33 लाख लोगों को अपने घरों को छोड़ने के लिये बाध्य होना पड़ा। पूर्वी अफ्रीका के कई देशों को बाढ़ों और एक टिड्डियों के हमले का सामना करना पड़ा, जिसने पहले से कमजोर क्षेत्रीय खाद्य सुरक्षा को और अस्थिर कर दिया। जबकि ऑस्ट्रेलिया में जंगलों में लगी भयंकर आग की तबाही के कारण हजारों लोगों को विस्थापित होना पड़ा।

यह स्पष्ट है कि कई कमजोर सरकारें विस्थापितों की इतनी ज्यादा संख्या का बोझ अकेले नहीं उठा सकती हैं। इन विस्थापित लोगों को सामाजिक सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए उनके पास धनी देशों के समान संसाधन नहीं हैं। यही कारण है कि जी-20 देशों द्वारा इनके लिये मिलजुल कर काम करने की जरूरत है, जो अब सबसे कमजोर लोगों की हालत को सुधारने के लिए अपने देशों में खरबों डॉलर खर्च कर रहे हैं।.