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Nepal Crisis: केपी ओली के एक ऐलान से नेपाल में ‘चीन की चाल’ नाकाम, मिलीजुली सरकार के प्रस्ताव से विरोधी भी चित

kp sharma oli

नेपाल में लंबे वक्त से सियासी उठा-पटक चल रही है। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग किये जाने को उचित ठहराने की कोशिश करते हुए शुक्रवार को सभी राजनीतिक दलों से एक सर्वदलीय सरकार बनाने और नये चुनाव कराने का आग्रह कर दिया है। ओली के इस सिफारिश से चीन को तगड़ा झटका लगा है। चीन काफी समय से नेपाल को अस्थिर करने के फिराक में है। ऐसे में ओली के इस नए दाव से चीन तिलमिला उठा है। केपी ओली ने संसद (प्रतिनिधि सभा) को भंग करने की अपनी सिफारिश पर अजीबो-गरीब सफाई दी है। कहा है कि बिना काम-काज वाली संसद देश में अस्थिरता पैदा करने का कारण बन रही थी, इसलिए उसे भंग करने की सिफारिश सरकार ने की।

आपको बता दें कि अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे ओली की सलाह पर राष्ट्रपति ने सदन को भंग कर दिया था। ‘माई रिपब्लिका डॉट कॉम’ पोर्टल के अनुसार ओली ने राजनीतिक दलों से सर्वदलीय सरकार बनाने और चुनाव कराने का आह्वान किया। ओली ने कहा कि संसद 23 फरवरी को न्यायिक हस्तक्षेप के जरिए बहाल होने के बाद भी देश में स्थिरता सुनिश्चित नहीं कर सकी।

टेलीविजन पर राष्ट्र के नाम संदेश में ओली ने कहा, चुनाव कभी पीछे लौटने वाला फैसला नहीं हो सकता। यह हमेशा आगे बढ़ने वाला प्रगतिवादी फैसला होता है। अल्पमत ओली सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने 22 मई को संसद को भंग कर दिया था और नवंबर में चुनाव कराने की घोषणा कर दी थी। लेकिन राष्ट्रपति के इस फैसले के विरोध में सभी विपक्षी दल और ओली की नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) का एक धड़ा सुप्रीम कोर्ट चले गए हैं। अब सुप्रीम कोर्ट में संविधान पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है।

शुक्रवार को इस बीच नया दांव खेलते हुए ओली ने सभी राजनीतिक दलों के समक्ष मिली-जुली सरकार बनाने का प्रस्ताव रख दिया। ऐसा उन्होंने राष्ट्रपति की सहमति लेकर किया है, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है। वैसे कामचलाऊ सरकार के मुखिया के तौर पर उनका यह प्रस्ताव भी असंवैधानिक है। अपने संबोधन में ज्यादातर समय ओली विपक्ष और अपनी पार्टी के विद्रोही गुट पर हमलावर रहे। वह बार-बार खुद को सही और विरोधियों को गलत ठहराते रहे।