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फ्रांस में पाकिस्तान का राजदूत और इमरान खान की सरकार का पार्लियामेंट में ड्रामा

फ्रांस में पाकिस्तान का राजदूत और इमरान खान की सरकार का पार्लियामेंट में ड्रामा

पाकिस्तानी कुओं में या तो किसी ने भांग डाल दी है किसी ने या फिर हिंदुस्तान की इज्जत-शौहरत और फौजी जुर्रत देख कर सिर घूम गया है पाकिस्तानी हुक्मरानों का। हर कोई अहमकाना हरकत कर रहा है। अकेला इमरान खान (Imran Khan) ही नहीं पूरी पाकिस्तानी संसद (Pakistan Parliament)  पगलाई घूम रही है। पाकिस्तान में ऐसा अजीबो-गरीब बर्ताव शायद ही पहले कभी देखा गया हो। इमरान खान का पाकिस्तान (Pakistan) के नेशनल टीवी चैनल पर बयान आ रहा है कि कश्मीर ओपन जेल बन गई है। कश्मीर (Kashmir)  में गैर मुस्लिमों को जमीन खरीदने का हक दे दिया है। इमरान ने क्रिकेट खेला है। कई बार हिंदुस्तान आना भी हुआ है। प्रधानमंत्री की कुर्सी पर (पाकिस्तान की अपोजिशन के मुताबिक) सिलेक्शन से पहले भी इमरान खान का हिंदुस्तान आना हुआ था। इमरान खान को मालूम है कि भारत सेक्युलर स्टेट है। कश्मीर भारत का ही हिस्सा है। कश्मीर में पहले भी हिंदू-मुसलमान-सिख वगैरा पहले भी रहते थे। आज भी रहते हैं। कश्मीर पर सभी हिंदुस्तानियों का हक था और है। कश्मीर सिर्फ मुसलमानों का कभी नहीं रहा। 27 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तानी दरिंदों ने जब बारामूला और आस-पास के इलाकों में दरिंदगी मचाई थी तब भी हिंदू-मुसलमान साथ और आज भी साथ हैं। कश्मीरियों ने जिन्ना के जिहादियों की दरिंदगी देखी है। अक्टूबर 1947 में भी और गाहे-बगाहे बाद में भी। कश्मीरी अवाम को पहले भी और आज भी हिंदुस्तान में ही सुकून है। इधर की कश्मीरी अवाम ही नहीं उधर की भी। कुछ एक दगाबाजों की हम बात नहीं करते वो तो कहीं न कहीं मिल ही जाते हैं।
<h3><span style="color: #ff0000;">यूएन का रिजोल्युशन गुलाम कश्मीर (पीओके) से अपनी फौजें हटाए पाकिस्तान</span></h3>
इमरान ने अपने पाकिस्तानी भौंपू (सरकारी टेलीविजन) के सामने बैठ कर कहा है कि वो दुनिया को कश्मीर के बारे में तिकतिकाते रहेंगे। यूएन के रिजोल्यूशन के मुताबिक कश्मीरियों को उनका हक दिलाने की लड़ाई में साथ देते रहेंगे। अरे अक्ल के अंधे (पाकिस्तानी अपोजिशन कहती है इस सिलेक्टेड प्रधानमंत्री) को कोई बताए कि यूएन ने अपने रिजोल्युशन में कहा है कि पहले पाकिस्तान गुलाम कश्मीर (कथित पीओके गिलगिट बालटिस्तान) सहित सभी इलाकों से अपनी फौज हटाए। सभी इलाकों को पूरी तरह खाली करे। दो साल तक कोई हस्तक्षेप न करे। भारत की स्थिति यथावत रहे तब दो साल बाद जाकर दोनों ओर के कश्मीर में जनमत संग्रह करवाया जाए। फिर जैसा जनादेश मिले उसके अनुसार कश्मीर को रखा जाए। पठान का बच्चा है तो गुलाम कश्मीर और गिलगिट बालटिस्तान से दो साल के लिए आर्मी हटाकर करवा ले प्लेबिसाइट
(जनमत संग्रह)…मुर्दार हैं जिन्ना के जिहादी। झूठ बोलते रहेंगे। अपनी नस्लों को झूठ पढ़ाते-सिखाते रहेंगे। हिंदुस्तान हमारा दुश्मन है। हजार साल जंग लड़ेंगे, हम कश्मीर लेके रहेंगे…!
<h3><span style="color: #ff0000;">जिन्ना के जिहादियों के लिए 'लूट का माल' से ज्यादा नहीं कश्मीरी लड़कियों की अस्मत</span></h3>
जिन्ना के जिहादी सिर्फ दरिंदी जानते हैं। शहादत जानते ही नहीं। शहादत तो हिंदुस्तानियों ने दी। अंग्रेजों से आजादी के लिए। आजादी की बारी आई तो जिन्ना और उसके जिहादियों ने हिंदुस्तान के टुकड़े कर दिए। 10 लाख से ज्यादा लोगों की जानें गईं। बलात्कार शब्द भी बौना दिखाई देता है उस दरिंदगी के सामने जो हिंदु-सिख लड़कियों महिलाओं के साथ हुआ। उससे भी पेट नहीं भरा तो कश्मीर में दरिंदगी का नंगा नाच किया। बलात्कार और हत्या करते-करते थक गए तो कश्मीरी लड़कियों को अपने साथ गुलामों की तरह बांध कर ले गए। क्यों कि लूट का माल दरिंदगों की निजी जायदाद होती है। जिन्ना के जिहादियों ने कश्मीरी औरतों और बच्चियों को लूट का माल कहा, लूट का माल। आवाजें लग रहीं थीं, बाकियों को सख्ती से बांधकर रखो। हम इन्हें छोड़कर वापस आ रहे हैं। जिन कश्मीरियों ने अपनी औलादों को इस मंजर की कहानी अपने बच्चों सुनाई होंगी उनके दिल पर क्या गुजरती होगी।
<h3><span style="color: #ff0000;">अपने आका आर्मी चीफ को हुक्म नहीं दे सकता 'सिलेक्टेड पीएम' इमरान खान</span></h3>
इमरान खान ने एक रोज कहा था कि वो पठान का बच्चा है! पठान के इस बच्चे में कमर जावेद बाजवा को हुक्म देने की हिम्मत नहीं है। इमरान खान नहीं दे सकते। क्यों कि बकौल पाकिस्तानी अपोजिशन  इमरान खान सिलेक्टेड पीएम है। सिलेक्टेड पीएम जिसके रहमो-करम बना हो वो इमरान खान अपने आका को हुक्म नहीं देने की जुर्रत भी नहीं कर सकता।
<h3><span style="color: #ff0000;">दरिंदों को झेलम पार धकेला- 27 अक्टूबर- कश्मीर का आंगन खोला</span></h3>
भारत का कश्मीर तरक्की की राह पर चल पड़ा है। जो नौजवान भटक गए थे वो वापस सीधे रास्ते पर आरहे हैं। फौजी बूटों के तले दबे होने के बाद भी गुलाम कश्मीर में पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ बगावत तेज हो रही है। उस ओर के कश्मीरी भी भारत के कश्मीर में फिर से मिलजाने के लिए आतुर हैं। इमरान और पाकिस्तानी हुक्मरानों के पागलपन का एक कारण यह भी है कि इसी दिन यानी 27 अक्टूबर 1947 को ही इंडियन फोर्सेज ने पाकिस्तानी दरिंदों को झेलम पार तक धकेल दिया था। खुशी के इन पलों को आगे बढ़ाते हुए भारत की मोदी सरकार ने 27 अक्टूबर को ही कश्मीर का आंगन पूरे भारत के लिए खोल दिया।
<h3><span style="color: #ff0000;">IND-US डिफेंस डील से  बुरी तरह बौखला गई इमरान सरकार</span></h3>
पाकिस्तानी सरकार-संसद और पीएम के पागलपन का एक बड़ा कारण और भी है, वो यह कि 27 अक्टूबर को ही भारत और अमेरिका ने बीईसीए पर सिग्नेचर किए हैं। बीईसीए एक अति महत्वपूर्ण सैन्य समझौता है। इस समझौते के बाद भारतीय सुरक्षाबल पाकिस्तानी फौज की गोद में छिपे बैठे आतंकियों पर भी सटीक निशाना लगा सकेगी। इसके अलावा एक कारण और भी जिसको तफसील से बाद में बताएंगे, फिल्हाल इतना ही  कि सऊदी अरब ने गुलाम कश्मीर और गिलगिट बालटिस्तान को पाकिस्तान का हिस्सा मानने से इंकार कर दिया है। सऊदी अरब जी-20 की मेजबानी के मौके पर 20 रियाल का एक नोट जारी कर रहा है। इस नोट पर छपे पाकिस्तान के नक्शे से कश्मीर और गिलगिट बालटिस्तान गायब हैं।
<h3><span style="color: #ff0000;">सऊदी अरब ने दिया झटका- कश्मीर पाक का हिस्सा कभी नहीं</span></h3>
सोचने वाली बात है कि, जब इतनी सारी घटनाएं एक साथ होने लगें तो पाकिस्तान की सरकार-संसद और सिलेक्टेड पीएम इमरान खान नियाजी का पगला जाना लाजमी है। इसी पागलपन में पाकिस्तान की संसद ने एक ऐसा फैसला ले लिया जिसका पूरी दुनिया में अब मजाक बन रहा है। फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टून विवाद पर  पाकिस्तान शान-ब-शाना तुर्की का साथ दे रहा है।
<h3><span style="color: #ff0000;">अहमक- उस राजदूत को वापस बुला रहे हैं जो फ्रांस में है ही नहीं</span></h3>
तुर्की ने फ्रांस के राजदूत को निकाला तो  पाकिस्तान कैसे पीछे रहता। आनन-फानन में पाकिस्तान की ससंद ने भी फ्रांस से पाकिस्तान के राजदूत को तुरंत वापस बुलाने का प्रस्ताव पारित कर दिया। प्रस्ताव मुल्तान के पीर  और पाकिस्तान के काबिल विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पेश किया था। पूरी संसद ने पूरे जोश के साथ प्रस्ताव पास किया फिर मेजें थपथपा कर खुशी भी मनाई। बाद में  मालूम यह हुआ कि इस समय फ्रांस में पाकिस्तान का कोई राजदूत है ही नहीं।

इससे भी ज्यादा अहमकाना हरकत कहीं देखने को अगर  मिल सकती है तो वो पाकिस्तान ही हो सकता है!!!.