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ताशकंत में ‘तालिबान’ का नाम सुनते ही भाग खड़े हुए Pak PM इमरान खान, RSS पर क्या कहा- देखें इस रिपोर्ट में

तालिबान का नाम सुनते ही भाग खड़े हुए इमरान खान

आतंकियों और तालिबानियों के सवाल पर पाकिस्तान के पीएम तालिबान खान मतलब इमरान खान भाग खड़े हुए। उनके मुंह से एक शब्द भी नहीं फूटा। अलबत्ता भारत-पाकिस्तान के संबंधों पर तालिबान खान ने कहा कि आरएसएस बीच में आ जाती है। ध्यान रहे, तालिबान खान यानी इमरान खान वो बे-सऊर पीएम है पाकिस्तान का जिसे आरएसएस के ‘आर’  के बारे में भी नहीं पता है, लेकिन वो बहाना आरएसएस पर डालता है। आरएसएस राष्ट्रवादी सांस्कृतिक संगठन है। आरएसएस का सक्रिए स्वयं सेवक रहते हुए कोई भी व्यक्ति राजनीति में हिस्सा नहीं ले सकता।

इमरान खान को संभवतः आरएसएस के बारे में उतना ही मालूम है जितना भारत के विपक्षी दल वोट की राजनीति के लिए आरएसएस के खिलाफ बोलते या ट्वीट करते रहते हैं। इमरान खान अपने मुल्क में नहीं विदेशों और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भी जब भारत के या पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलते हैं तो ऐसा लगता है कि वो पाकिस्तान के पीएम नहीं बल्कि भारत के किसी ऐसे राज्य के मुख्यमंत्री हैं जहां गैर बीजेपी दल की सरकार है।

बहरहाल, उज्बेकिस्तान के दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे इमरान सेएएनआई के संवाददाता नेजब भारत-पाकिस्तान की दोस्ती पर सवाल किया गया तो वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को बदनाम करने लगे। इतना ही नहीं, जब उनसे तालिबान के साथ पाकिस्तान के रिश्तों पर पूछा गया तो इमरान ने बिना जवाब दिए भाग खड़े हुए।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत से तो हम कह रहे हैं कि एक सिविलाइज्ड हमसाए बनकर साथ रहें, लेकिन करें क्या एक आरएसएस की आइडियोलॉजी रास्ते में आड़े बनकर आ गई है। इसके बाद जब रिपोर्टर ने तालिबान को लेकर सवाल किया तो इमरान को जवाब देते नहीं बना और वह तुरंत वहां से चले गए। इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।

इस सम्मेलन में इमरान खान अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी से भी भिड़ गए। अशरफगनी ने तालिबान के साथ पाकिस्तान के करीबी रिश्तों की पोल इस सम्मेलन के दौरान खोल दी थी। जिसके बाद बोलने आए इमरान ने पाकिस्तान को आतंकवाद से सबसे ज्यादा पीड़ित देश बता दिया। अफगानिस्तान में अशांति से सबसे ज्यादा प्रभावित देश पाकिस्तान है। पिछले 15वर्षों में पाकिस्तान को 70हजार लोगों को खोना पड़ा है।

पाकिस्तान शनिवार से अफगान शांति सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। इस सम्मेलन में अफगानिस्तान के कई बड़े नेताओं को बुलाया गया है। हालांकि, अफगान सरकार की तरफ से इस सम्मेलन में किसी के शामिल होने को लेकर अभी तक कोई जानकारी नहीं है। वहीं, तालिबान ने भी इस सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार किया है। तालिबान का कहना है कि हम पाकिस्तान में पहले ही कई बार बैठकें कर चुके हैं।