तालिबान ने कुछ ही दिनों में अफगानिस्तान पर अपना कब्जा जमा लिया और पूरी दुनिया देखती रह गई। ऐसे में सवाल यह उठता हैं कि आखिर इतनी ताकत तालिबान के पास कैसे और कहां से आई। इस जंग के लिए तालिबान को इतना पैसा कहां से मिला, जिसने अफगानिस्तान सरकार के वजूद को ही खत्म कर दिया।
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संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट की मानें तो तालिबान की सालाना कमाई 1.6 बिलियन डॉलर यानी सवा खरब रुपये से ज्यादा है। यूएन की जून में अपनी एक रिपोर्ट में बताया था तालिबान अरबों रुपये की यह रकम आपराधिक गतिविधियों के जरिए कमाता है। इसमें अफीम का उत्पादन, ड्रग्स की तस्करी, जबरन वसूली और फिरौती जैसे काम शामिल हैं।
वहीं अमेरिकी अधिकारियों की मानें तो इसमें उनकी मदद रूस भी करता हैं। रुस तालिबान को न सिर्फ पैसे देता हैं बल्कि हथियार देने और उन्बं चलाने की ट्रेनिंग भी देता हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि तालिबान को पाकिस्तान और ईरान से भी आर्थिक मदद मिलती है। इसके अलावा, तालिबान डोनेशन के जरिए भी पैसे कमाते हैं। इसमें उसके अमीर समर्थक लोग और कई फाउंडेशन शामिल हैं, जो इस कट्टरवादी इस्लामी समूह को हर साल बड़ी राशि दान के तौर पर देते हैं।