एक प्रचलित कहावत है, चोर चोरी से जा सकता है लेकिन हेराफेरी से नहीं। कुछ यही हाल है अपने पड़ोसी पाकिस्तान का। कश्मीर मुद्दे को बार-बार अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा बनाने में नाकाम हो चुका पाकिस्तान अब खालिस्तान को हवा देने की कोशिश कर रहा है। कनाडा के एक थिंकटैंक मैकडोनाल्ड-लॉयर इंस्टीट्यूट के पत्रकार टेरी मिलेविस्की की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
मैकडोनाल्ड-लॉयर इंस्टीट्यूट की “खालिस्तान–ए प्रोजेक्ट रिपोर्ट ऑफ पाकिस्तान” में कहा गया है कि पाकिस्तान पिछले कई सालों से एक बार फिर खालिस्तान समर्थक संगठनों को जुटाने की मुहिम में लगा हुआ है। हालाकि यह आंदोलन तो पहले ही खत्म हो चुका था और उसके कई चरमपंथी नेताओं ने भाग कर कनाडा, ब्रिटेन और पाकिस्तान में शरण ली थी।
पत्रकार टेरी मिलेविस्की पिछले कई दशकों से कनाडा में खालिस्तानी मूवमेंट पर नजर रख रहे हैं। उनकी रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कई सप्ताहों से भारत से खालिस्तान से जुड़ी खबरें मिल रही हैं, जो इस बात का पुख्ता सबूत हैं कि पाकिस्तान फिर से खालिस्तान आंदोलन को सक्रिय करने की योजना में जुटा हुआ है। हिन्दुस्तान टाइम्स को दिए एक एक इंटरव्यू में टेरी मिलेविस्की ने कहा कि “बिना पाकिस्तान के इस आंदोलन का खड़ा होना नामुमकिन है..यह तो सिर्फ नारों वारों तक ही सीमित थे..पाकिस्तान एक बार फिर इन्हें सपने दिखा रहा है।”
गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से अमेरिका स्थित खालिस्तान समर्थक 'ए ग्रुप सिख फॉर जस्टिस' नंवबर में एक रेफरेंडम “पंजाब 2020” करवाने की योजना बना रहा है। सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो वायरल हुए हैं, जिनमें खालिस्तान के लिए रेफरेंडम यानी जनमत संग्रह कराने की बात कही गई है। ऐसा सिख आतंकवादी संगठनों के इशारे पर किया जा रहा है और वे आईएसआई के साथ मिलकर सिख नौजवानों को खालिस्तान के नाम पर भड़काने में जुटे हैं।
भारत ब्रिटेन सहित कई देशों में लोगों को अज्ञात नंबरों से फोन आ रहे हैं, जिसमें इस रेफरेडंम को समर्थन देने की अपील की जा रही है। टेरी के मुताबिक, “इसके पहले के चुनावों में, चाहे भारत में या कनाडा में ज्यादातर लोग खालिस्तान के मुद्दे पर वोट नहीं डाल रहे हैं और न इनका समर्थन करते हैं। यकीन मानिए कि यह रेफरेंडम भी एकतरफा होगा। ये लोग फेक रेफरेंडम करवा रहे हैं।”
मिलेविस्की की रिपोर्ट में खालिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान की 1970 से अब तक की भूमिका पर प्रकाश डाला गया है। कनाडा में बसे कई सिख भी खालिस्तान के समर्थक थे और उनमें से कई पाकिस्तान के साथ थे। उनमें तलविंदर सिंह परमार भी था, जिसने जून 1985 में एयर इंडिया के कनिष्क को बम से उड़ा देने की साजिश रची थी। इस आतंकवादी घटना में 329 बेकसूरों की जान गई थी। इस पूरी साजिश में पाकिस्तान के तानाशाह जिया-उल-हक और पाकिस्तानी आईएसआई की बड़ी भूमिका थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस घटना के पहले परमार कई बार पाकिस्तान जा चुका था।
पंजाब में खालिस्तानी आंदोलन के खात्मे के बाद पाकिस्तान ने कई बार इसे फिर से जिंदा करने की कोशिश की, लेकिन सफल नहीं हुआ। हार कर उसने कनाडा में रह रहे खालिस्तान के चरमपंथी नेताओं और समर्थकों को फिर से खालिस्तान का सपना दिखाया। कनाडा इंटेलिजेंस सूत्रों के मुताबिक यह रेफरेंडम की मुहिम खालिस्तानी ताकतों के लिए ऑक्सीजन का काम कर रहा है। कनाडा सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस मुहिम के पक्ष में नहीं है और सरकार से इसका कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन अंदेशा है कि नौजवान सिखों पर इसका असर पड़ सकता है और कनाडा में मुसीबत पैदा हो सकती है।
दो महीने पहले जुलाई में कनाडा सरकार ने दो खालिस्तानी नेताओं, भगत सिंह बराड़ और परबकार सिंह दुलाई के विमान यात्रा करने पर रोक लगा दी थी। कनाडा सरकार के इंटलिजेंस एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार भगत सिंह बराड़ खालिस्तनी कट्टपंथी नेता है और भारत में आतंकवादी कारर्वाई की योजना बना रहा है। उस पर कनाडा के नौजवान सिखों को भी कट्टरपंथी बनाने का आरोप है।
भगत सिंह बराड़ , 1984 में ब्लूस्टार आपरेशन के दौरान मारे गए खालिस्तानी सरगना जनरैल सिंह भिंडरावाला के भतीजे लखबीर सिंह रोडे का बेटा है। रोडे आपरेशन ब्लूस्टार के दौरान बच कर पाकिस्तान भाग गया था और तभी से वहीं है। बराड़ अपने पिता से मिलने 2015 और 2018 में पाकिस्तान गया था। जहां उसकी मुलाकात दूसरे खालिस्तानी आंतकी नेताओं से हुई। कनाडा इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में बराड़ और बब्बर खालसा के आतंकवादी परमजीत सिंह पम्मा की पाकिस्तान में हुई मुलाकातों का भी जिक्र है। पम्मा पर भारत में कई नेताओं की हत्याओं का आरोप है और वो भारत की वांटेड लिस्ट में है।
भारत में इस रिपोर्ट के खुलासों पर कोई खास आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि वह इन मुद्दों को कई बार उठा चुका है। पिछले साल भारतीय खुफिया एजेंसियों के हवाले से यह खबर थी कि खालिस्तान की मांग करने वालों की मदद, ब्रिटेन और कनाडा में रहने वाले कुछ पाकिस्तानी मुस्लिम और पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई मिलकर कर रहे हैं। पाकिस्तान का एक कर्नल शाहिद मोहम्मद मलही उर्फ चौधरी साहब कनाडा और यूरोप में भारत विरोधी अभियानों का मास्टर-माइंड माना जाता है।
इस साल जून में भारतीय खुफिया एजेंसी ने खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट के चार आतंकवादियों को पकड़ा था, जो पंजाब के कुछ हाई-प्रोफाईल नेताओं की हत्या करने की योजना बनाकर पाकिस्तान से आए थे। इनका मास्टर-माइंड था खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट का नेता गोपाल सिंह चावला, जो पाकिस्तान में है। अपनी पाकिस्तान यात्राओं के दौरान अक्सर मैं इस्लामाबाद के पास पंजा साहिब गुरुद्वारे में मत्था टेकने जाया करता था। वहां हथियारबंद खालिस्तानी नजर आते थे। लेकिन न तो उनसे बातचीत करने की इजाजत थी और न ही तस्वीरें लेने की।
करतारपुर कॉरिडोर के खुलने के पहले भारत ने पाकिस्तान को 15 खालिस्तानी आतंकवादियों की लिस्ट सौंपी थी। जिसमें यह भी कहा गया था कि पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद और धार्मिक मामलों के मंत्री सरदार मोहम्मद यूसुफ अक्सर इनके साथ भारत विरोधी रैलियों में देखे जाते हैं। पाकिस्तान के गुरुद्वारों की कमेटियों में भी उनकी खासी पैठ है। पाकिस्तान ने कहा कि कोई भी खालिस्तानी आतंकवादी पाकिस्तान में नहीं है। ठीक वैसे ही जैसे दाउद इब्राहिम पाकिस्तान में नहीं है।.