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Pakistan की वजह से Afghanistan में नहीं बन रही Taliban सरकार! झगड़ा सुलझाने काबुल पहुंचे ISI चीफ फैज हामिद

अफगानिस्तान में अब तालिबान सरकार बनाने की तैयारियां कर रही है, लेकिन इस बीच  खबरें आ रही हैं कि पाकिस्तान इसमें हस्तक्षेप कर रहा है, और पाक की खुफिया एजेंदी आईएसआई के चलते अपगानिस्तान में  तालिबान को सरकार बनाने में बड़ी परेशानी आ रही है। दरअसल, तालिबान और पाकिस्तान की दोस्ती बहुत पुरानी है इसके साथ ही हक्कानी नेटवर्क और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के बीच घनिष्ठता है। इस बीच आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैस हामिद शनिवार सुबह काबुल पहुंचे।

जनरल फैज तालिबान शूरा के बुलावे पर काबुल पहुंचने वाले सर्वोच्च रैंकिंग वाले विदेशी अधिकारी हैं। वहीं, यह भी माना जा रहा है कि इस मुलाकात में दोनों पक्षों के बीच पाक-तालिबान सुरक्षा आर्थिक व्यापार संबंधों के तत्काल भविष्य पर चर्चा हो सकती है। दावा किया जा रहा है कि पाकिस्तान आर्मी सुरक्षा के क्षेत्र में तालिबान नेतृत्व वाले अफगानिस्तान की मदद करेगी और उन्हें ट्रेनिंग देगी। तालिबान के आने सा पाकिस्तान काफी खुश है और इसके साथ ही तालिबानियों की सबसे ज्यादा मदद भी पाकिस्तान और चीन ही किए हैं, इसलिए ये दोनों देश इसका भरपूर फायदा उठाएंगे। पाकिस्तान अब अफगानिस्तान में एक कट्टरपंथी सरकार का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करना चाहता है। जो आने वाले दिनों में भारत के लिए चिंता की बात हो सकती है।

वहीं, कश्मीर पर भी तालिबान के शुर बदलने लगे हैं। अफगानिस्तान में शरिया कानून के आधार पर इस्लामिक सरकार बनाने का ऐलान करने वाले तालिबान पहले तो कश्मीर मुद्दे को खुद से दूर रख रहा था लेकिन अब धीरे-धीरे अकड़ बढ़ते जा रही है। तालिाबन दुनिया के सामने अपना क्रूर वाला चेहरा छुपा रहा है और उसके प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने इसे मुस्लिम होने के नाते अपना हक बताया है। शाहीन ने BBC से बातचीत करते हुए कहा है कि, हम आवाज उठाएंगे और कहेंगे कि मुसलमान आपके लोग है, अपने देश के नागरिक हैं। आपके कानून के मुताबिक वे समान हैं।

शाहीन ने कहा कि उनके समूह का इरादा किसी भी देश के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करने का नहीं है… मुसलमान होने के कारण भारत के कश्मीर में या किसी भी दूसरे देश में मुस्लिमों के पक्ष में आवाज उठाने का अधिकार उनके पास है। उनके इस बयान के बाद सवाल उठने लगे कि आखिर यह कट्टर इस्लामिक संगठन अब तक उइगर मुस्लिमों के हालात पर चुप क्यों है? क्या वह प्रताड़ित मुस्लिम समुदाय नहीं है? उनसे चीन के शिनजियांग प्रांत में बने डिटेंशन कैंप्स में जारी मानवाधिकार उल्लंघन पर भी सवाल किया गया है।