'पाकिस्तान के कट्टरपंथी इस्लामी समूह और मुल्ला-मौलाना सिंध के मूल तथ्यात्मक इतिहास पर प्रकाश डालने के खिलाफ हैं। वो राजा दाहिर की स्मृति दिवस के खिलाफ हैं क्यों कि वो एक परमवीर हिंदू राजा था। पाकिस्तान के कब्जे वाले सिंध में राजा दाहिर का नाम लेना गुनाह है। पाकिस्तानी सेना और इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों को सिंध के वास्तविक इतिहास से डर लगता है। उन्हें यह भी खौफ है कि सिंध की माटी के पुत्रों के स्मृति दिवसों के आयोजन से सिंधियों में जागरूकता फैल रही है। सिंधी लोग अपनी जड़ों से जुड़ते हैं तो नकली इस्लामी विचारधारा – नकली पहचान का मुखौटा उतर जाएगा और इस्लाम खतरे में पड़ जाएगा!'
पाकिस्तान से आजादी की मुहिम चला रहे जय सिंधु देश मूवमेंट के लोगों ने पाकिस्तान में 39 स्थानों पर और एक जगह अमेरिका में सिंध के अंतिम हिंदु शासक राजा दाहिर का शहीदी दिवस मनाया। सन् 712 ईसवीं में सिंध के राजा दाहिर वीरगति को प्राप्त हुए थे।
इतिहासकारों ने ऐसा लिखा है कि बसरा से बगावत कुछ अरबों ने राजा दाहिर से शरण मांगी थी। राजा दाहिर ब्राह्मण शासक थे। उन्होंने शरण ही नहीं बल्कि उनकी सुरक्षा का आश्वासन भी दिया। उधर बसरा के अरब शासक ने कई बार राजा दाहिर से बागियों को सौंपने की गुजारिश की। जब राजा दाहिर ने बसरा के अमीर को दो टूक शब्दों में इनकार कर दिया तो उसने राजा दाहिर के सीमांत प्रदेश के शासक और रिश्ते चाचा चंद्रसेन से संपर्क किया। चंद्रसेन ब्राह्मण धर्म छोड़ कर बौद्ध हो गया था। चंद्रसेन राजा दाहिर से मन ही मन ईर्ष्या करता था। चंद्रसेन ने अरब शासक के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। उसने राजा दाहिर के विरुद्ध अरब सेना को न केवल आश्रय दिया बल्कि रहस्य भी बता दिए। इसके बाद सिंधुदेश में राजा दाहिर के खिलाफ अफवाहें फैलाईं और फिर अरब आक्रांताओं के लिए सुरक्षित रास्ता देदिया गया।
यह सब कुछ जानने के बाद भी राजा दाहिर ने अपने वफादार सैनिकों के साथ भयंकर युद्ध किया। मुहम्मद बिन कासिम युवा अरब था। राजा दाहिर के तेज को सहन नहीं कर सका और भाग खड़ा हुआ लेकिन उसकी सेना में शामिल चंद्रसेन के सैनिकों ने उसी पर हमला कर दिया। राजा दाहिर को छल से मारने के लिए चंद्रसेन के सेनिकों ने बारूद बिछा कर उसमें आग लगा दी। विस्फोट इतना तेज हुआ कि हाथी पर बैठे राजा दाहिर के हौदे में भी आग लग गई। आग से भयभीत होकर दाहिर के हाथी ने नदी में छलागं लगा दी। राजा दाहिर भी नदी में जा गिरे। यह सूचना जंग का मैदान छोड़कर भाग रहे मुहम्मद बिन कासिम और उसके सैनिकों को मिली तो उन्होंने नदी के दोनों तटों को घेर लिया।
जैसे ही राजा दाहिर नदी से बाहर निकले मुहम्मद बिन कासिम और धोखेबाज चंद्रसेन के सिपाहियों ने तीरों, बरछी और भालों से राजा दाहिर को बींध दिया। हालांकि, दाहिर की बेटियों ने मुहम्मद बिन कासिम की बेटियों ने बदला ले लिया, वो कहानी काफी लंबी है। लेकिन राजा दाहिर की वीरता शासन कुशलता की याद में सिंधु देश के लोग योमे शहादत और योमे पैदाइश दोनों बहुत शिद्दत से मनाते हैं।
हिंदुस्तान के बंटबारे के समय सिंधु पाकिस्तान में चला गया। जो सिंधी पाकिस्तान में रह गए उन्होंने पाकिस्तान की सदारत कबूल भी कर ली, 1967 में पाकिस्तान की सरकार ने सिंधियों की नस्लकुशी के प्रोग्राम शुरू कर दिए। सिंधी भाषा-बोली पर पाबंदी लगाकर उर्दू थोप दी गई। बस, यहीं से सिंधियों की गैरत जागी और अलग सिंधु देश या सिंधु देश की आजादी का बिगुल बजा दिया गया। सिंधु देश की आजादी की आवाज बुलंद करने वाले पहले शख्स का नाम जीएम सैयद था। सिंधु देश की आजादी के नारे लगाने वालों में हिंदू और मुसलमान दोंनों सिंधी समुदाय हैं। जीएम सैयद से पाकिस्तान की सरकारें इतनी खौफ खाती थीं कि उन्हें 30 साल तक जेल में बंद रखा। पाकिस्तान सरकार को डर था कि अगर जीएम सैयद को फांसी दे दी गई तो आजाद सिंधु देश का आंदोलन उग्र हो जाएगा। जेल के भीतर जीएम सैयद को धीमा जहर दिया गया जिसके चलते 26 अप्रैल 1995 को जेल के भीतर ही उनका निधन हो गया।
जीएम सैयद के निधन के बाद भी सिधु देश की आजादी का आंदोलन लगातार चल रहा है। इसी साल 17 जनवरी को सिंध के सान शहर में सिधु देश की आजादी के बहुत बड़ा जलसा और जुलूस निकाला गया। ये जुलूस कई किलोमीटर लंबा था। जुलूस में चल रहे लोगों के हाथ में भारत के प्रधानमंत्री मोदी सहित दुनिया के तमाम देशों के पोस्टर थे। ये लोग पाकिस्तान से सिंध की आजादी के लिए मदद की गुहार लगा रहे थे।
कहा जा रहा है कि पाकिस्तान सरकार सिंध में कितने ही दमन चक्र चला रहा है और सिंधियों की आवाज पाकिस्तान से बाहर न जाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन सिंधियों का आजादी मूवमेट लगातार मजबूत हो रहा है। इसी का नतीजा है कि सिंध के 39 शहरों में राजा दाहिर की योमे शहादत का आयोजन किया गया। अमेरिका में भी एक शहर में सिधियों ने राजा दाहिर की पुण्यतिथि का आयोजन हुआ और सिंधुस्थान को पाकिस्तान से आजादी की प्रार्थनाएं की गईं।