पाकिस्तान की इमरान सरकार को बड़ा झटका लगने वाला है, क्योंकि रावलपिंडी रिंग रोड परियोजना से जुड़े घोटाले की जांच शुरू कर दी गई है। खबरों की मने तो कुछ सबूत सामने आए हैं जिनमें यह कहा गया है कि इमरान खान और पंजाब के सीएम उस्मान बुजदार ने आरआरआर परियोजना का समर्थन किया था। वहीं, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) नेपहले ही प्रधानमंत्री इमरान खान और इस परियोजना घोटाने में कथित रूप से शामिल अन्य मंत्रियों से इस्तीफे की मांग की थी।
रावलपिंडी रिंग रोड परियोजना से जुड़े घोटाले की जांच पाकिस्तान की एंटी करप्शन एजेंसी ने शुरू कर दी है। कथित रूप से प्रधानमंत्री इमरान खान ने ही इस सड़क परियोजना को मंजूरी दी थी। खबरों की माने तो विभाग के एक प्रवक्ता के ने कहा है कि कि जांच के लिए एंटी करप्शन एजेंसी के महानिदेशक मोहम्मद गोहर द्वारा नामित जांच दल में कानूनी, तकनीकी और आर्थिक विशेषज्ञ शामिल हैं। टीम ने घोटाले की जांच शुरू कर दी है और गहन जांच के बाद परियोजना से जुड़े सभी तथ्य सार्वजनिक किए जाएंगे।
इमरान खान के स्पेशल असिस्टेंट ने दिया इस्तीफा
इन आरोपों में नाम आने के बाद प्रधानमंत्री के विशेष सहायक जुल्फी बुखारी ने इस्तीपा भी दे दिया है। हाल ही में आई एक रिपोर्ट में पता चला है कि घोटाले की प्रारंभिक जांच में पाया गया है कि आरआरआर परियोजना के हिस्से के रूप में 130 अरब रुपये संपत्ति सौदों में लगाए गए हैं।
इमरान खान के अलावा ये मंत्री भी जांच के घेरे में
इमराखान खान के साथ साथ मामले में 18 राजनीति से जुड़े व्यक्तियों और 3 प्रभावशाली बिल्डरों और प्रॉपर्टी टाइकून ने रावलपिंडी/अटॉक लूप, पासवाल ज़िगज़ैग, जीटी रोड और इस्लामाबाद मार्गल्ला एवेन्यू की सीमा के भीतर विभिन्न सौदों में जमीन के लगभग 64,000 कनाल का कथित अधिग्रहण किया है। ये सभी जांच के घेरे में हैं।