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चीन की तरह दादागिरी पर उतरा पाकिस्तान! ये कानून बनाकर अब मीडिया को अपने जूतों की नोंक पर रखेगा इमरान खान

photo courtesy Google

चीन को हमेशा से पाकिस्तान अपना गुरु मानता है। यही वजह है चेले पाकिस्तान ने चीन की राह पर चलकर कई कानूनों को बदला और कई बड़े ऐलान किए। एक बार फिर चीन के नक्शेकदम पर चलकर इमरान खान सरकार एक नया कानून लाई है। इस बार इमरान खान के निशाने पर मीडिया है। मीडिया में इमरान खान के खिलाफ कुछ न चले, इसका तरीका कानून के जरिए ढूंढ निकाला गया है। कोरोना महामारी, महंगाई और आर्थिक तंगी के चलते मीडिया में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान की खूब किरकिरी हो रही है।

इमरान खान सरकार मीडिया के लिए एक नया प्रस्ताव लाई है। इस प्रस्ताव में मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए तरह-तरह की शर्तें रखी गई है। मीडिया के नए नियमों का देश भर में विरोध हो रहा है। विपक्षी दलों पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज ने नए कानून के प्रस्ताव को मीडिया मार्शल लॉ करार देते हुए कहा है कि ये अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक का नियम है। चलिए अब आपको बताते है कि आखिर क्या है ये नए नियम और क्यों हो रहा है इतना हंगामा…

दरअसल, इमरान सरकार 'पाकिस्तान मीडिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑर्डिनेंस-2021' लाना चाहती है। इसके तहत कई कानूनों के साथ एक ऐसे कानून का भी प्रस्ताव है, जिसमें मीडिया के सेना या सरकार पर कटाक्ष करने या तंज कसने पर रोक लगा दी जाएगी। सबसे ज्यादा विरोध इसी प्रावधान को लेकर हो रहा है। विपक्षी पार्टियों ने कहा है कि यह अभिव्यक्ति की आजादी पर रोक लगाने वाले नियम हैं। पीएमएल-एन की प्रवक्ता मरियम औरंगजेब ने कहा कि यह मीडिया पर नियंत्रण की कोशिश है। इसके जरिए सरकार मीडिया संस्थानों को अपना मुखपत्र बना लेना चाहती है या फिर उन्हें बंद होना पड़ेगा।

क्या है पाकिस्तान मीडिया डेवलपमेंट अथॉरिट?

पाकिस्तान मीडिया डिवेलपमेंट अथॉरिटी ऑर्डिनेंस-2021 के तहत मीडिया से जुड़े सभी पुराने कानूनों के विलय करना चाहती है। इस नए कानून के तहत प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से लेकर डिजिटल मीडिया तक की नियमावली तय की जाएगी। इमरान सरकार का कहना है कि नए कानून के तहत एक अथॉरिटी का गठन किया जाएगा, जो देश में सभी तरह के मीडिया की नियमावली तय करेगी। नए नियमों के तहत देश में अखबार और डिजिटल मीडिया के संचालन के लिए भी टीवी चैनलों की तरह ही लाइसेंस की जरूरत होगी। इस ड्राफ्ट में नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, यूट्यूब चैनलों,वीडियो लॉग्स आदि को लेकर भी नियमावली तय करने की बात कही गई है। 

एक अथॉरिटी का गठन किया जाएगा। यह सभी तरह के मीडिया के लिए नियम बनाएगी। इसमें कुल 11 सदस्य और एक चेयरपर्सन होंगे। इनकी नियुक्ति केंद्र सरकार की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी। देश में मीडिया से जुड़े सभी कानून रद्द होंगे। इन सभी का पीएमडीए कानूनों में विलय होगा। मीडिया से जुड़े मामलों के लिए मीडिया ट्रिब्यूनल स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। ट्रिब्यूनल का प्रमुख ग्रेड-22 स्तर का ब्यूरोक्रेट होगा। यह पाकिस्तानी सिविल सेवा की सर्वोच्च रैंक है।  ड्राफ्ट में डिजिटल मीडिया के संचालन के लिए भी टीवी चैनलों की तरह ही लाइसेंस अनिवार्य करने का प्रस्ताव है।

वहीं नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम, यूट्यूब चैनल, वीडियो लॉग्स को लेकर भी नियम बनाए जाएंगे। कानून का उल्लंघन करने वालों के लिए 2.5 करोड़ पाकिस्तानी रुपये का जुर्माना और तीन साल तक जेल का प्रावधान। नए नियमों में मीडिया पर सेना और सरकार पर तंज कसने तक पर रोक लगाई गई है। कानून में कहा गया है कि कोई भी सेना, संसद, सरकार और उसके मुखिया को लेकर तंज नहीं कस सकता है, जिसके कारण या तो हिंसा की आशंका हो या फिर उनकी मानहानि होती हो। इस नियम को लेकर ही सबसे ज्यादा आपत्ति जताई जा रही है और इसे पाकिस्तान का मीडिया मार्शल लॉ कहा जा रहा है।  

आपको बता दें, चीन की कम्युनिस्ट सरकार भी मीडिया या जनता की आवाज के दमन के लिए बदनाम है। हाल ही में उसने गलवान घाटी में भारतीय और चीन सौनिकों के बीच हुई झड़प का सच सामने लाने वाले ब्लॉगर को आठ महीने के लिए जेल भेज दिया है। दरअसल, ब्लॉगर चाउ जिमिंग ने जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प में चीन के 40 सैनिकों मारे जाने की बात कही थी। भारत ने भी यही कहा था कि रूस की एजेंसी ने भी इस आंकड़े को सही ठहराया था, जबकि चीन सिर्फ 4 बता रहा था। इस खुलासे से भड़के चीन ने जिमिंग को 8 महीने जेल की सजा सुना दी है।