चीन और तुर्की की चौखट पर ऐड़ियां बजाते-बजाते पाकिस्तान की दुर्गति हो गई लेकिन दोनों ही एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर नही निकाल पाए। हालांकि, पाकिस्तान को भी एहसास हो गया था कि ग्रे लिस्ट से निकलना मुश्किल है इसलिए पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपनी पार्लियामेंट में कहा था कि अगर मेरिट पर फैसला हुआ था पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आ जाएगा। कुरैशी ने यह भी कहा कि भारत की कोशिश है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट की ओर धकेला जाए ताकि यहां मुफलिसी आए, गुरबत आए और पाकिस्तान की अवाम परेशान हो। पाकिस्तान ने जो बिडेन को तो शपथ ग्रहण से पहले ही मक्खन लगाना शुरू कर दिया था। तमाम अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के पास जाकर पाकिस्तान रोया कि उसे एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से निकलावा दिया जाए। लेकिन सारी कोशिशें नाकाम हो गईं।
आखिरकार FATF ने अपना फैसला सुना ही दिया कि कंगाली की कगार पर पहुंचे पाकिस्तान को आतंकियों की मदद करने की सजा अभी और भुगतनी होगी। आतंकी फंडिंग पर नजर रखने वाली संस्था FATF (Financial Action Task Force) ने आतंकियों की पनाहगाह बन चुके पाकिस्तान पर कोई नरमी नहीं बरती है। FATF ने गुरुवार को अहम बैठक के बाद फैसला लिया कि अभी पाक को काफी कुछ करना होगा, इसलिए वह अभी ग्रे लिस्ट में ही बना रहेगा।
FATF ने उम्मीद जताई है कि जून, 2021तक पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आने के लिए आतंकी फंडिंग के खिलाफ अपने पूरे एक्शन प्लान को पूरा करेगा। यह संस्था चाहती है कि पाकिस्तान हाफिज सईद जैसे सभी 1267और 1373आतंकियों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाए। हालांकि FATF ने कहा है कि पाक ने 27में से 24मानकों पर कदम उठाए हैं। मगर उसे अभी और काम करने की जरूरत है। संस्था ने कहा कि कई गंभीर सवाल हैं, खासतौर से आतंकी फंडिंग को लेकर। इन सवालों के जवाब पाक को देने होंगे।
FATF ने कहा है कि जून में होने वाली बैठक में पाकिस्तान एक बार फिर से एजेंडे पर होगा। पाकिस्तान जैसे ही 27 में से बाकी बचे 24 मानकों पर कदम उठाएगा, उसे लेकर FATF वेरिफाई कर फैसला करेगा। अगर फिजिकल वेरिफिकेशन में पाकिस्तान के दावे गलत साबित हुए थे ईरान और नॉर्थ कोरिया की तरह ब्लैक लिस्ट कर दिया जाएगा। नॉर्थ कोरिया और ईरान के शासत जैसे-तैसे अपने देशों को चला रहे हैं लेकिन इमरान खान की इतनी हैसियत नही है कि वो ब्लैकलिस्ट होने के बाद पाकिस्तान को संभाल पाए।