पाकिस्तान के एक थिंक-टैंक ने रविवार को कहा कि तालिबान के संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने साल 2020 में देश भर में अस्थिरता को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज (PIPS) ने अपने रिपोर्ट में यह दावा किया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि टी.टी.पी. और इसके सहयोगी 2020 में लगभग 46 प्रतिशत हमलों के लिए जिम्मेदार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से ज्यादातर हमले तत्कालीन एफएटीए या संघीय रूप से प्रशासित जनजातीय क्षेत्रों में हुए थे, जो पड़ोसी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में विलय कर दिया गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में पूरे पाकिस्तान में 146 आत्मघाती हमले हुए, जिनमें तीन आत्मघाती विस्फोट भी शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन हमलों में 500 से अधिक लोग घायल हुए और कुल 220 लोगों की जान गई , जो कि 2019 से 38 प्रतिशत कम है। 146 हमलों में से 95 धार्मिक रूप से प्रेरित हमले थे। वहीं 44 हमले बलूच और सिंधी विद्रोहियों द्वारा किए गए।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज (PIPS) के अनुसार खैबर पख्तूनख्वा में सबसे ज्यादा आतंकवादी हमले हुए। इन हमलों में 100 लोगों की जान गई और कम से कम 206 लोगों को घायल हुए। बलूच के लोग एक स्वतंत्र राज्य की मांग कर रहे हैं, जिसने इस क्षेत्र में कई आतंकवादी समूहों को जन्म दिया है, अक्सर इन हमलों के लिए वहां के लोगों को दोषी ठहराया जाता है।
PIPS ने आगे दावा किया कि पाकिस्तान में 2020 में कुल 125 हमले सीमा पार से हुए, जिनमें से अधिकांश भारत ने किए। अफगानिस्तान (11 हमले) और भारत (114) के साथ पाकिस्तान की सीमाओं के पार से वर्ष 2020 में कुल 125 हमले हुए। सीमा पार से किए गए हमलों में 62 पाकिस्तानी मारे गए। इनमें 42 नागरिक, 18 सैन्य अधिकारी और दो एफसी कर्मचारी शामिल थे।.