अफगानिस्तान के मुद्दे पर अमेरिका को ब्लैकमेल करते आ रहे पाकिस्तान को बहुत बड़ा झटका लगा है। पहला झटका तो यह था कि कुरैशी अमेरिका गए थे टोनी ब्लिंकन से मिलने लेकिन टोनी ब्लिंकन ने कुरैशी को घास तक नहीं डाली। इससे तमतामाए शाह महमूद कुरैशी ने पाकिस्तान लौटने पर कहा कि अब अमेरिका को अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए अमेरिका को अपने सैन्य अड्डे नहीं देगा और पाकिस्तान के अंदर ड्रोन हमलों की भी अनुमति भी नहीं देगा।
पाकिस्तानी मीडियाअनुसार, विदेश मंत्री ने अमेरिका को पाकिस्तान में बेस उपलब्ध कराने की खबरों को भी निराधार बताते हुए खारिज कर दिया, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि प्रधान मंत्री इमरान खान कभी भी अमेरिका को अपना बेस नहीं देंगे और न ही पाकिस्तान के अंदर ड्रोन हमलों की अनुमति देंगे।
कुरैशी का ये बयान तब आया है जब अमेरिकी विदेश मंत्रालय पेंटागन के एक अधिकारी ने कहा कि पाकिस्तान ने अमेरिकी सेना को अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति दी थी और जमीनी पहुंच दी थी ताकि वह अगानिस्तान में अपनी उपस्थिति का समर्थन कर सके।
पाकिस्तानी सीनेटरों की चिंता का जवाब देते हुए कुरैशी ने कहा कि हमें इस बात का डर है कि इस तरह की स्थिति अफगानिस्तान को फिर से 90के दशक वाले हालातों में पहुंचा सकती है।
आतंक को पालने वाले पाकिस्तान को अमेरिका ने एक और करारा झटका दिया है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के हेडक्वार्टर पेंटागन की ओर से बयान जारी किया गया है पाकिस्तान को दी जाने वाली सुरक्षा सहायता जो पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने निलंबित कर दी थी वह अब भी निलंबित है। अमेरिका की ओर से यह बात ऐसे समय कही गई है जब हाल में रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा से बात की तथा अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने जिनेवा में अपने पाकिस्तानी समकक्ष से मुलाकात की है।
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'पाकिस्तान को अमेरिका की ओर से दी जाने वाली सुरक्षा सहायता निलंबित ही रहेगी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी 2018 में पाकिस्तान को दी जाने वाली सभी सुरक्षा सहायता निलंबित करते हुए कहा था कि वह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पाकिस्तान की भूमिका तथा उसकी ओर से मिलने वाले सहयोग को लेकर संतुष्ट नहीं हैं।