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पाकिस्तान गए 800 से ज्यादा भारतीयों की जान पर खतरा, लाहौर में हो रहे दंगों की बीच फंसा जत्था

सुलग रहा है पाकिस्तान

पाकिस्तान पिछले कुछ दिनों से सुलग रहा है। सड़कों पर जबरदस्त हिंसा हो रही है। प्रदर्शनकारी सड़कों पर हैं और जमकर बवाल काट रहे हैं। इस दौरान कई शहरों में पुलिस और इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प भी हुई। पाकिस्तान में धार्मिक नेता साद हुसैन रिज़वी और उनके कई सहयोगियों की गिरफ़्तारी के बाद देश के कई हिस्सों में तनाव है। इसी बीच पुलिस ने साद रिज़वी समेत तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान पार्टी (टीएलपी) के कई नेताओं के ख़िलाफ़ आतंकवाद रोधी क़ानून के तहत मुकद़मा दर्ज कर लिया है।

हिंसा में एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी गई है। वहीं टीएलपी ने भी अपने 12 कार्यकर्ताओं के मारे जाने का दावा किया है। इस पूरे तनाव के बाद लाहौर में भारी सुरक्षाबल तैनात है। टीएलपी के कार्यकर्ताओं ने भी सड़कें जाम कर रखी हैं। जिससे वहां 800 से ज्यादा भारतीय सिख फंस गए। सोमवार (12 अप्रैल) को ही बैसाखी मनाने के लिए 815 सिखों का जत्था वाघा बॉर्डर के जरिए पाकिस्तान पहुंचा था। ये वहां स्थित गुरुद्वारा पंजा साहिब के दर्शन करने के लिए गए हैं। लेकिन वो अब तक गुरुद्वारे नहीं पहुंच सके हैं। न्यूज एजेंसी ने पाकिस्तान सरकार के एक अधिकारी के हवाले से बताया है कि मंगलवार को 25 बसों से इन सिखों को गुरुद्वारा पंजा साहिब ले जाया जा रहा था, लेकिन हिंसा भड़कने की वजह से रोड ब्लॉक कर दी गई थी। इस वजह से सिख श्रद्धालु लाहौर फंस गए हैं। पाकिस्तानी अधिकारी का कहना है कि बुधवार को सिखों को गुरुद्वारा पंजा साहिब पहुंचाने की कोशिश की जाएगी।

इस्लामाबाद और रावलपिंडी के कई इलाक़ों में प्रदर्शन की रिपोर्टें हैं। संवाददाता शहज़ाद मलिक के मुताबिक फ़ैज़ाबाद और भारा काहू इलाक़ों में प्रदर्शन हुए हैं। पुलिस ने आम लोगों से परिवर्तित रूटों पर सफर करने के लिए कहा है। ट्रैफ़िक पुलिस के मुताबिक मरी रोड पर कई जगह प्रदर्शन हुआ है जिससे जाम की स्थिति हो गई। हालात काबू करने के लिए पुलिस के जवानों के अलावा रेंजर भी तैनात किए गए हैं।

क्यों हो रहा है प्रदर्शन?

दरअसल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पिछले साल नवंबर में क्लास में पैगंबर मोहम्मद का कार्टून दिखाए जाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता बताया था।बाग में कार्टून दिखाने वाले टीचर की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद मैक्रों ने टीचर का समर्थन किया था। इसके बाद से ही पाकिस्तान में फ्रांस को लेकर नाराजगी है। तब से टीएलपी फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग कर रही है।

पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार ने तहरीक-ए-लब्बैक के पूर्व प्रमुख ख़ादिम हुसैन रिज़वी के साथ 16 नवंबर 2020 को चार सूत्रीय समझौता किया था। ख़ादिम फ्रांस के राजदूत को देश से निकालने की मांग कर रहे थे। सरकार ने वादा किया था कि वो इस मुद्दे को संसद के सामने ले जाएगी और जैसा संसद में तय होगा वैसा किया जाएगा। ये समझौता ख़ादिम हुसैन रिज़वी को इस्लामाबाद की तरफ मार्च करने से रोकने के लिए किया गया था। जब इस समझौते का पालन नहीं हुआ तो पार्टी ने सरकार के साथ फ़रवरी 2021 में एक और समझौता किया। इसके तहत टीएलपी ने पाकिस्तान सरकार को फ्रांसीसी राजदूत को वापस भेजने के लिए 20 अप्रैल तक का समय दिया है।