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FATF Grey List: Pak PM इमरान को एफएटीएफ की दो टूक- दाउद, हाफिज सईद और मसूद अजहर को पालोगे ग्रे लिस्ट में पड़े रहोगे!

Pakistan Remains FATF Grey List

FATF अध्यक्ष मार्कस प्लेयर का कहना है कि आतंकियों को पनाह देने के दोषी पाकिस्तान पर सख्त नजर रखी जा रही है। पाकिस्तान अभी भी FATF के कई मानकों को सख्ती से लागू करने में असफल है जिससे मनी लॉन्डरिंग का खतरा  बना हुआ  है। मार्कस का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र ने जिन लोगों और संगठनों को आतंकी करार दिया है पाकिस्तान ने उनके सरगनाओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं की है। ध्यान रहे, दाउद इब्राहीम, हाफिज सईद और मौलाना मसूद अजहर जैसे आतंकियों और आतंकी गिरोहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगा  तब तक ग्रे लिस्ट से निकलना मुश्किल है।इससे भ्रष्टटाचार और संगठिग अपराध यानी आतंकवाद को बढ़ाता है।' 

आतंकियों की आर्थिक मदद रोकने में नाकाम पाकिस्तान को एफएटीएफ ने एक बार फिर ग्रे लिस्ट में डाल दिया है। ग्रे लिस्ट से निकलने के लिए पाकिस्तान ने बहुत नाटक नौटंकियां की थीं। पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने का बीड़ा इस बार पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा ने अपने कंधो पर उठाया था। इसलिए वो 21 जून को विदेश दौरे पर निकल गए थे। उन्होंने एफएटीएफ मेंबर देशों से सहयोग-समर्थन हासिल करने के लिए जर्मनी पर दांव लगाया था। पाकिस्तान को भरोसा था कि जर्मनी ने अगर पाकिस्तान के पक्ष में फील्डिंग कर दी तो ग्रे लिस्ट से छुटकारा मिल जाएगा। मगर ऐसा न हो सका।

ध्यान रहे, एफएटीएफ की जिस मीटिंग में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखे जाने का फैसला हुआ है उसको जर्मनी के मार्कस प्लेयर चेयर कर रहा थे। मार्कस पलेयर ने कहा कि एफएटीएफ ने पाकिस्तान को जो बिंदु दिए थे उनमें से छह ऐसे हैं जिन पर ठीक से काम नहीं हुआ। इनमें से कुछ तो ऐसे हैं जिनपर पाकिस्तान सरकार ने बिल्कुल भी अनुपालना नहीं की। ये बिंदु मनी लॉंड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग के थे। इसके अलावा पाकिस्तान सरकार ने बाकी बिंदुओं पर सराहनीय काम किया है।

मार्कस पलेयर की प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के कई जर्नलिंस्ट ने यह सवाल उठाया कि एक तरफ एफएटीएफ कहता है कि पाकिस्तान सरकार का सहयोगात्मक रवैया है और उसकी एप्रोच भी सकारात्मक है तो फिर अब उसे ग्रे लिस्ट में रखा जाना पाकिस्तान के मोरल को कमजोर नहीं करेगा। इस पर मार्कस पलेयर ने कहा कि एफएटीएफ नियम और कानूनों के तहत काम करता है। पाकिस्तान टेक्निकली एफएटीएफ के टास्क पूरा करने में नाकाम रहा है इसलिए ग्रे लिस्ट में रखा गया है।

पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट की वजह से करीब 38 अरब डॉलर (27,52,76,18,00,000 रुपये) का नुकसान उठाना पड़ा है। इस्लामाबाद स्थित तबादलाब नाम के स्वतंत्र थिंक-टैंक तबादलाब ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि 2008 से 2019 तक पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में रखने के कारण 38 अरब डॉलर के जीडीपी का नुकसान हुआ है। अब उसे इंटरनैशनल मॉनिटरी फंड (IMF) जैसी संस्थाओं से मदद मिलना मुश्किल बना रहेगा।