Hindi News

indianarrative

Pakistan को भारी पड़ गया US के खिलाफ जाना, अब Biden के लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे Imran Khan

America के खिलाफ जाना भारी पड़ा Pakistan को

अफगानिस्तान में तालिबान के आने की खुशी में इमरान खान जमकर तालिबानियों की तारीफ करने जुटे हुए थे। तालिबान सरकार को सबसे ज्यादा पाकिस्तान ही समर्थन कर रहा था। इसके साथ पाक प्रधानमंत्री इमरान खान तालिबान के खुशी में जमकर कई देशों के खिलाफ बोलें, इसमें उन्होंने अमेरिका तक को नहीं छोड़ा, अब उनका यही कदम उनके लिए भारी पड़ रहा है, जिसके बाद अब वो अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को मनाने में जुटे हैं और इसके लिए घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।

इमरान खान का इस वक्त दोहरा चरित्रा नजर आ रहा है। एक तरफ जहां पर तालिबान के समर्थन में उसे खुश करने में लगे हुए हैं और दुनिया के सामने तारीफ कर रहे हैं तो वहीं, अब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के फैसले का बचाव कर रहे हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापस को लेकर लिए गए जो बाइडेन के फैसले का इमरान खान बचाव कर रहे हैं। तालिबान के बाद अमेरिका को खुश करने चले इमरान खान का कहना है कि, बाइडेन का फैसला एक समझदार कदम था और इसके लिए उनकी अनुचित आलोचना की जा रही है। एक रूसी समाचार चैनल से बात करे हुए उन्होंने कहा कि, राष्ट्रपति बाइडेन की इतनी अनुचित आलोचना की जा रही है और उन्होंने जो भी किया वह सबसे समझदारी भरा काम था।

इमरान खान का यह बयान यूं ही नहीं आया है इसके पीछे वजह यह है कि तालिबान को लेकर अमेरिका के खिलाफ की गई इमरान खान की बयानबाजी अब उनको ही भारी पड़ रही है। हाल ही में इमरान खान ने जो बाइडेन को कई बार फोन किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया जिसके बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने हाल ही में कहा था कि, अमेरिका अब पाकिस्तन के साथ अपने संबंधों को पुनर्मूल्यांकन करेगा। अमेरिका के इस कदम के बाद से इमरान खान के पैरों तले जमीं खिसकी हुई है और वो अमेरिका को खुश करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं।

इमरान खान का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब एक महीने पहले उन्होंने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह पाकिस्तान से अफगानिस्तान में पैदा की गई मुसीबत को खत्म करने की उम्मीद कर रहा है। काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले अगस्त महीने की शुरुआत में इमरान खान ने कहा था कि, पाकिस्तान को सिर्फ इस मामले में ही उपयोगी माना जाता है कि वह किसी तरह इस मुसीबत को सुलझाता है, जो मुसीबत 20 साल तक सैन्य समाधान खोजने की कोशिश में पैदा हुई।