इमरान खान ने इस्लामाबाद घेरने का प्रोग्राम बिना नतीजा खत्म करने का फैसला लेकर पाकिस्तान को फिलहाल टूटने से बचा लिया लेकिन देश के हालात और भी खराब हो चुके हैं। इमरान खान की साढ़े तीन साल की कारगुजारियों के चलते इस समय की शहबाज सरकार के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है। पीएम शहबाज शरीफ और विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी दुनिया भर में घूमकर वापस आ गए हैं लेकिन अभी तक किसी ने उन्हें घास नहीं डाली है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो को कहना पड़ा है कि हिंदुस्तान से जिंदगी भर दुश्मनी नहीं रखी जा सकती है। हालांकि ये वही बिलावल भुट्टो हैं जो कहते थे हजार साल भी लड़ना पड़े तो भारत से लड़ते रहेंगे। बहरहाल, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, चीन, तुर्की और अमेरिका तक घूमकर आने के बाद भी कहीं से चार पैसे नहीं मिले हैं। आखिर में शहबाज शरीफ को पेट्रोल के दामों में एक साथ 30 रुपये लीटर बढ़ोतरी करनी पड़ी है। ऐसा कहा जा रहा है कि ये बढ़ोतरी आईएमएफ के कहने और रेवेन्यू बढ़ाने के लिए किया गया है।
पाकिस्तान के नए वित्त मंत्री मिफ्ताह इस्माइल ने कहा है कि मुल्क को गिरने और टूटने से बचाने के लिए सरकार के पास इसके अलावा कोई और चारा नहीं था। मिफ्ता इस्माइल ने संकेत दिए थे कि जब तक पेट्रोलियम पदार्थों पर दी जा रही सब्सिडी खत्म नहीं की जाएगी तब तक आईएमएफ 6 मिलियन डॉलर वाले मदद प्रोग्राम को आगे नहीं बढ़ाता। अब आईएमएफ 6 मिलियन डॉलर प्रोग्राम को शुरु कर दिया जाएगा और पाकिस्तान की आर्थिक दिक्कतें दूर हो जाएंगी।
मिफ्ता इस्लाइल के इस ऐलान के बाद पाकिस्तान में एक लीटर पेट्रोल की कीमत लगभग 180 रुपये लीटर और घासलेट (कैरोसीन या मिट्टी के तेल) की कीमत 155 रुपये प्रति लीटर पहुंच चुकी है। शहबाज सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बढ़ाने पर आमलोगों की आलोचना का शिकार होना पड़ रहा है, लेकिन सरकार चुपचाप सारी गालियां सुन रही है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि शहबाज शऱीफ के शुरुआती फैसले अवाम के खिलाफ गए हैं। अगर मौजूदा हालात में चुनाव करवाए जाते हैं तो शहबाज शरीफ को अपनी जमानत बचानी मुश्किल हो सकती है।