नेपाल में सियासी संकट खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। प्रधानमंत्री के मुख्य सलाहकार विष्णु रिमल द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पीएम कोपी शर्मा ओली ने राष्ट्रपति को कुल 153 हस्ताक्षर सौंपे गए हैं जिसमें, से UML के 121 और जनता समाजवादी पार्टी के 32 सांसदों ने पीएम कोपी शर्मा ओल के लिए हत्ताक्षर किए हैं।
नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने 20 मई को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए ओली सरकार को झटका दिया। उनके 7 मंत्रियों को नियुक्ति को असंवैधानिक करार देते हुए मंत्री पद पर हुई नियुक्ति को रद्द कर दिया। 7 दिन पहले 13 मई को प्रधानमंत्री पद पर दुबारा नियुक्त हुए प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने अपने कैबिनेट में 7 ऐसे मंत्रियों को भी स्थान दिया था जो कि वर्तमान में सांसद नहीं है। ये सातों मंत्री पहले प्रचण्ड के नेतृत्व वाले माओवादी में थे, लेकिन पार्टी विभाजन के बाद इन सभी ने ओली का साथ दिया था।
नेपाल के दलबदल कानून के तहत इन सबकी संसद सदस्यता उसी समय खारिज हो गई थी जब ओली ने अपनी पिछली सरकार में इनको दुबारा शपथ कराया था। इस बार जब ओली संसद में विश्वास मत हारने के बाद फिर से अल्पमत की सरकार बनाई तो इनको दुबारा से मंत्री बनाया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम दृष्टया में असंवैधानिक माना है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ओली सरकार के 7 मंत्रियों को बर्खास्त करने का आदेश देने के कुछ ही घंटे के बाद उन्हें दूसरा बडा झटका लगा है। ओली सरकार में गृहमंत्री रहे राम बहादुर थापा को राष्ट्रीय सभा के चुनाव में पराजय मिली है। दल बदलने के कारण थापा की संसद सदस्यता चली गई थी जिसके बाद रिक्त स्थान पर आज दुबारा मतदान हुआ था। संसद के उच्च सदन राष्ट्रीय सभा के लिए हुए मतदान में गृहमंत्री थापा को ओली की पार्टी के बागी उम्मीद्वार ने पराजित कर दिया है।