'चीन की वैक्सीन डिप्लोमैसी औंधे मुंह गिर चुकी है। पाकिस्तान ने काफी कोशिशें की, लेकिन फिर भी चीनी वैक्सीन कोई भी मुस्लिम देश खरीदने को तैयार नहीं हुआ। बहरीन में सिनोफॉर्म की डोज लेने के बाद हुई मौत के बाद तो खाड़ी देशों में चीनी वैक्सीन के खिलाफ अभियान आग की तरह फैल गया है।'
खाड़ी देशों में चीन की वैक्सीन डिप्लोमैसी फेल हो गई है। हालांकि यूएई और सऊदी अरब ने चीनी वैक्सीन लगाने वालों की देश मे एंट्री पहले से ही बैन कर रखी है। इसके ऊपर से बहरीन में चीनी वैक्सीन लगावाने के बाद कैदी की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस कैदी की मौत के बाद बहरीन के लोग सड़कों पर उतर आए हैं और चीनी वैक्सीन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
ऐसा बताया जाता है कि हुसैन बाराकात नाम के कैदी को चीनी वैक्सीन सिनोफार्म की दो डोज दी गई थीं। चीनी टीका लगवाए जाने के ही बाराकात की तबीयत खराब हुई और उसकी मौत हो गई। बहरीन सरकार ने चीनी वैक्सीन का नाम नहीं लिया है लेकिन इंस्टीट्यूट फॉर राइट्स एंड डेमोक्रेसी ने कहा कि बाराकात को चीनी टीका सिनोफार्म लगाया गया था। कैदी हुसैन बाराकात की मौत के बाद दीयाह में सड़कों पर प्रदर्शनकारियों ने मार्च किया। प्रदर्शनकारी किंग हमद बिन इसा अल खलीफा को बाराकात की मौत के लिए जिम्मेदार बताते हुए नारे लगा रहे थे। बहरीन के गृह मंत्रालय ने कहा है कि बाराकात की उम्र 48 साल थी और तबीयत खराब होने के बाद वो लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर था लेकिन उसकी जान नहीं बचाई जा सकी।
संयुक्त अरब अमीरात की तरह बहरीन ने भी अपने यहां टीका लगाने के लिए चीन के सिनोफार्म पर भरोसा जताया था लेकिन अब वे फाइजर-बायोएनटेक के टीके के बूस्टर शॉट की पेशकश कर रहे हैं। गौरतलब है शुरुआती हिचकिचाहट के साथ यूएई ने अपने कुछ लोगों को सिनोफॉर्म की डोज दी थी, लेकिन उनमें भी पर्याप्त मात्रा मे एंटीबॉडीज ने बनने पर सिनोफॉर्म का उपयोग बंद कर दिया गया। सऊदी अरब ने तो घोषित तौर पर सिनोफॉर्मा को मान्यता देने से ही इंकार कर दिया है। सऊदी अरब में उन लोगों की एंट्री बैन है जिन्होंने सिनोफॉर्म लगवा रखा है।