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पाकिस्तान में बड़े मियां (बड़ा बाजवा) और छोटे मियां (छोटा बाजवा) चला रहे कठपुतली सरकार

पाकिस्तान में इन दिनों सरकार को वास्तव में बड़े मियां (बड़ा बाजवा) और छोटे मियां (छोटा बाजवा) ही चल रहा है। बड़ा बाजवा मतलब पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा और छोटा बाजवा यानि प्रधानमंत्री इमरान खान के विशेष सलाहकार और सीपेक (CPEC) चेयरमैन रिटायर्ड लेफ्टीनेंट असीम सलीम बाजवा, जो भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण आजकल सुर्खियों में हैं।

हालांकि दोनों का कोई खून का रिश्ता नहीं है लेकिन दोनों बहुत करीब हैं। पाकिस्तान की हुकूमत तो यही दोनों चला रहे हैं। इमरान खान तो बस नाम के प्रधानमंत्री हैं। शुक्रवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने छोटा बाजवा यानि अपने विशेष सलाहकार लेफ्टिनेंट असीम (रिटायर्ड) सलीम बाजवा का इस्तीफा मंजूर करने से साफ मना कर दिया। साथ ही यह भी कहा कि वो जनरल असीम बाजवा के जवाब से पूरी तरह से संतुष्ट हैं।

यह तो होना ही था। पहले ही विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने वेबसाईट फैक्ट फोकस की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था, जिसमें सबूतों के साथ कहा गया था कि छोटे बाजवा ने आर्मी के विभिन्न पदों पर रहते हुए अपने परिवार को अरबों डॉलर की कई कंपनियां खड़ी करने में मदद की और इस दौरान कई घोटाले किए।

रिपोर्ट के मुताबिक जनरल आसिम बाजवा की पारिवारिक कंपनी बाजको की चार देशों में कुल 99 कंपनियाँ हैं। इनमें एक पापा जॉन पिज़्जा कंपनी की फ्रेंचाइज़ी भी है, जिसके 133 रेस्तरां हैं। एक अनुमान के मुताबिक़ यह पूरा कारोबार 39.9 अरब डॉलर का है। कुल 99 कंपनियों में 66 मुख्य कंपनियां हैं और 33 कंपनियों के ब्रांच हैं।

बाजवा इन आरोपों का खंडन करते रहे, वेबसाईट को हैक भी कराया लेकिन मामला बढ़ता गया। आरोप सीधे प्रधानमंत्री इमरान खान पर लग रहे थे, जिन्होंने अपने विरोधियों को एनआरओ कानून के तहत भ्रष्टाचार के आरोपों के तहत जेल में बंद करवा दिया था। इनमें पूर्व राष्ट्रपति आसिफ जरदारी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ शामिल हैं। लेकिन अपने सलाहकार बाजवा के घोटाले पर चुप थे।

2 सितंबर को पहली बार बाजवा कैमरे के सामने आए और कहा कि सारे आरोप उन्हें बदनाम करने के लिए एक साजिश के तहत लगाए जा रहे हैं। फिर भी वे प्रधानमंत्री इमरान खान के सलाहकार के पद से इस्तीफा दे देंगे लेकिन सीपेक के चेयरमैन बने रहेंगे, क्योंकि पाकिस्तान के हित के लिए उनका चेयरमैन के पद पर रहना जरुरी है। गौरतलब है कि दोनों बाजवा चीन के बेहद करीबी माने जाते हैं। चीन की सलाह पर ही आर्मी चीफ ने असीम बाजवा को सीपेक का चेयरमैन बनाया था। अगले दिन जब उन्होंने प्रधानमंत्री के पास इस्तीफा भेज दिया जो हाथों-हाथ नामंजूर हो गया ।

पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों को मानना है कि यह सब एक नाटक है। पाकिस्तान मुस्लिम पार्टी (नवाज) की नेता और नवाज शरीफ की बेटी मरियम शरीफ का कहना है, “ इमरान खान का एकाउंटेबिलिटी पर भाषण देना बेमानी है. किस मुंह से इमरान बाजवा का इस्तीफा मंजूर करते । उन्हें भी तो इस्तीफा देना पड़ता, क्योंकि बाजवा तो उनके करीब हैं। पाकिस्तान के लोगों को एनआरओ (National Reconciliation ordinance) का मतलब पता चल गया है..किसके खिलाफ लगता है और किसके नहीं। एक ऊंचे ओहदे के शख्स पर गंभीर इल्जाम लगे हैं, उन्हें जवाब देना चाहिए। बाजवा को तनख्वाह जनता के पैसे से दी जा रही है। उनके खिलाफ सबूत सामने आ चुके हैं।"

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता फरहतुल्लाह बाबर के मुताबिक “ प्रधानमंत्री इमरान खान तो आर्मी की कठपुतली हैं..उनकी हिम्मत है किसी जनरल के खिलाफ कुछ एक्शन लेने की ?"

पाकिस्तानी जानकारों का कहना है कि सबको पता है कि बड़ा बाजवा यानि आर्मी चीफ कमर वाजेद बाजवा के रहते, छोटे बाजवा का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। चीन की महत्वाकांक्षी योजना सीपेक का काम इन दोनों बाजवाओं की देख रेख चल रहा है। पाकिस्तान सरकार ने एक बयान में कहा है“ विदेशों में बैठे कुछ पाकिस्तानी विरोधी सोशल मिडिया पर यह सब साजिश के तहत फैला रहे हैं और इन सबके पीछे इंडिया है।”

लेकिन वेबसाईट फैक्ट फोकस ने कहा है कि रिपोर्ट सबूतों के साथ है। पाकिस्तानी पत्रकार पाकिस्तानी पत्रकार अहमद नूरानी ने ट्वीट कर कहा है कि उन्हें इस रिपोर्ट के बाद ग़द्दार और भारतीय एजेंट कहा जा रहा है  “मेरी रिपोर्ट से साबित हो गया है कि क्यों पाकिस्तानी फौज, अपनी सौदेबाजी को सार्वजनिक करना नहीं चाहती है। मझे यकीन है कि आर्मी में इस किस्म की कई घोटाले होंगे जरूर। शायद मेरी रिपोर्ट से लोगों के दिलों से पाकिस्तानी फौज का डर निकल जाए। क्यों पाकिस्तानी के एकांउटिबिलिटी कानून से पाकिस्तानी फौज को बाहर रखा गया है। पाकिस्तान में यह पहली बार हो रहा है किसी पद पर तैनात आर्मी जनरल की धांधली की पोल खुल चुकी है। अब तक यह आर्मी के जनरल्स चुनी हुई सरकारों को भ्रष्ट बता कर तख्ता पलटते थे लेकिन आज जब खुद पर करप्शन का आरोप लगा है तो बौखला गए हैं।”

नूरानी की रिपोर्ट में पाकिस्तान के प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (The Securities and Exchange Board of Pakitan) में बाजवा की कंपनी बाजको से जुड़े सारे कागजात हैं। हैरानी की बात है कि सेबी के वेबसाईट से बाजको कंपनी से जुड़ी जानकारियां हटा ली गई हैं। यही नहीं पिछले दो दिनों से सेबी के अधिकारी साजिद गोंदाल लापता हैं। उनकी मां ने इस्लामाबाद कोर्ट में गुहार लगाई है कि उनके बेटे को किडनैप कर लिया है। अंदेशा है कि गोंदाल को आईएसआई ने अगवा किया है।

आर्मी को सक है कि सेबी से बाजवा की कंपनियों के कागजात गोंदाल ने ही लीक किए होंगे। पाकिस्तान की मीडिया पर बड़े और छोटे बाजवा का खौफ कदर काबिज है कि सारे मुंह बंद किए बैठे हैं। पाकिस्तानी मामलों की जानकार आएशा सिद्दकी के मुताबिक “ चीन और पाकिस्तान आर्मी इन खबरों को दबाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। इसीलिए सतही तौर पर दोनों सरकारें बाजवा से जुड़ी खबरों को तवज्जो नहीं दे रही हैं। क्योंकि चीन सीपेक को लेकर कोई विवाद नहीं चाहता है। लेकिन यह मामला अभी  नहीं रूका तो सीपेक (CPEC) चेयरमैन बाजवा के लिए मुश्किल हो जाएगी।”.