क्वाड के पहले वर्चुअल शिखर सम्मेलन में भारत और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक बार फिर डंका बजा। शुक्रवार की शाम क्वाड वर्चुअल सम्मेलन की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मोरिसन ने ‘नमस्ते’ से की। सम्मेलन में बाइडन ने कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए आपके और हमारे सभी सहयोगियों के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह समूह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यावहारिक समाधान और ठोस परिणामों के लिए समर्पित है।
वहीं मॉरिसन ने कहा कि चारों देश एक नया भविष्य तैयार करें। समावेशी हिंद प्रशांत क्षेत्र बनाए रखने के लिए आपस में सहयोग करें। उन्होंने कहा कि इंडो-पैसिफिक अब 21वीं सदी में दुनिया के भाग्य का निर्धारण करेगा। चीन पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि महान लोकतंत्रों के चार नेताओं के रूप में हमारी साझेदारी शांति, स्थिरता और समृद्धि का प्रतीक है।
इस वर्चुअल शिखर सम्मेलन में नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने कहा कि हमें कोरोना वैक्सीन, जलवायु परिवर्तन और उभरती प्रौद्योगिकियों जैसे क्षेत्रों को कवर करके क्वॉड को मजबूत बनाना है। उन्होंने कहा कि क्वॉड (QUAD) अब धीरे-धीरे परिपक्व हो गया है और हिंद-प्रशांत (Indo-Pacific) इलाके की स्थिरता का अहम बिंदु बन गया है। उन्होंने कहा, 'मैं इस सकारात्मक दृष्टि को भारत के प्राचीन दर्शन 'वसुधैव कुटुम्बकम' के विस्तार के रूप में देखता हूं। यह दृष्टि जो दुनिया को एक परिवार के रूप में मानती है। हम साझा मूल्यों को आगे बढ़ाने और धर्मनिरपेक्ष, स्थिर और समृद्ध इंडो-पैसिफिक बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री मोदी की ओर देखकर कहा कि आपको लंबे समय के बाद देखकर अच्छा लगा। जापान के पीएम को छोड़कर बाकी सभी लीडर ने अपनी बात इंग्लिश में रखी. वहीं जापानी पीएम सुगा ने अपनी मातृभाषा में बात रखी।
क्वाड वर्चुअल शिखर सम्मेलन को लेकर चीन में बेचैनी का आलम है। चीन के मुख पृष्ठ ग्लोबल टाइम्स ने एक भद्दा कार्टून छापा है। इससे पहले चीन ने एक बयान जारी करके कहा था कि क्वॉड (QUAD) शिखर सम्मेलन देशों के बीच आदान-प्रदान और सहयोग आपसी समझ पर आधारित होना चाहिए न कि तीसरे पक्ष को ‘निशाना’ बनाने के लिए। चीन ने यह भी कहा कि क्वॉड को एक विशेष समूह बनाने से बचना चाहिए। क्वॉड (QUAD) सम्मेलन पर चीन की प्रतिक्रिया पूछने पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा, ‘देशों के बीच आदान प्रदान और सहयोग आपसी समझ और भरोसे को बढ़ाने में योगदान के लिए होना चाहिए। इसके बजाय तीसरे पक्ष को निशाना बनाने या तीसरे पक्ष के हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं होना चाहिए।
झाओ लिजियान ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि संबंधित देश खुलेपन, समावेशी और सभी के लिए लाभदायक के सिद्धांत को कायम रखेंगे. वे विशेष समूह बनाने से बचेंगे और ऐसे कार्य करेंगे जो क्षेत्रीय शांति, स्थिरता एवं समृद्धि के हित में हो।
क्वाड के इस सम्मेलन से चीन का परेशान लाजिमी है। क्यों कि ऑस्ट्रेलिया-भारत-जापान और अमेरिका के एक साथ आने से चीन की विस्तारवादी नीतियों और दादागीरी पर लगाम लगेगी। साउथ चाईना सी में उसकी हरकतों पर रोक लगेगी।