संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रभाव को बढ़ता देख चीन और पाकिस्तान की चिंताएं बढ़ रही हैं। इसीलिए संयुक्त महासभा की बैठक में पाकिस्तान ने जहां कश्मीर का मुद्दा उठाया तो वहीं संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत के दूरदर्शी प्रस्ताव को सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया है। यह प्रस्ताव आतंकवाद से लड़ने के लिए एक मजबूत तंत्र की वकालत करता है। इससे पहले भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि यूएन में सुधार की तत्काल आवश्यकता है अन्यथा संयुक्त राष्ट्र के सामने विश्वास का संकट खड़ा हो सकता है।
पीएम मोदी ने कहा, 'आज दूरंदेशी घोषणाओं को स्वीकार किया जा रहा है। लेकिन संघर्ष को रोकने, जयवायु परिवर्तन, विकास को सुनिश्चित करने, असमानता घटाने और डिजिटल का लाभ उठाने जैसे मुद्दों पर अभी और काम करने की आवश्यकता है। हम पुरानी संरचनाओं के साथ आज भी चुनौतियों से लड़ नहीं सकते हैं। व्यापक सुधारों के बिना संयुक्त राष्ट्र पर विश्वास का संकट है।'
सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भारत की प्राथमिकताओं को इस घोषणा में जगह मिली है क्योंकि भारत आतंकवाद के खिलाफ ठोस निर्णय, बहुपक्षवाद संबंधी सुधारों और समावेशी विकास का पुरजोर आह्वान करती रही है। भारत ने संबंधित चर्चा प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
संयुक्त राष्ट्र में सुधार की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "आज की परस्पर दुनिया के लिए, हमें एक सुधारित बहुपक्षवाद की आवश्यकता है जो आज की वास्तविकताओं को दर्शाता है, सभी हितधारकों को आवाज देता है, समकालीन चुनौतियों का समाधान करता है और मानव कल्याण पर ध्यान केंद्रित करता है।"
.