राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में सुपर पावर बनने के लिए चीन किसी भी हद तक जा सकता है। दूसरे देशों के क्षेत्रों पर जबरन कब्जा करने वाला चीन अब चोरी पर उतर आया है। अपने लक्ष्य को पाने के लिए हाल के वर्षों में चीन ने जमकर चोरी की है। ये चोरी किसी वस्तु की नहीं, ये चोरी है विचारों की, ये चोरी है रिसर्च की और ये चोरी है तकनीक की। ये खुलासा अमेरिकी फेडरल जांच एजेंसी (एफबीआई) के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने किया है। रे के अनुसार चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी (सीसीपी) हर वो पैंतरा अपनाती है, जिससे वो दूसरे देशों की तकनीक और अनुसंधान को चुरा सके। विदेशी कंपनियों को हैक करना, विदेशियों को लालच देना, अपने एजेंट्स को विदेशी कंपनियों में नियुक्त करना चीन की इसी चोरी का हिस्सा है।
डीएनए की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के न्याय विभाग की ओर से जारी प्रेस रिलीज में खुलासा हुआ है कि अमेरिका में दो चीनी हैकरों को पकड़ा गया है। जो दुनिया के तकनीक संपन्न देशों में हैकिंग का काम 10 वर्षों से चला रहे थे। इन देशों में अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, दक्षिण कोरिया, लिथुआनिया, नीदरलैंड्स, स्पेन, स्वीडेन और ब्रिटेन शामिल हैं। चीन के हैकर दुनिया के महत्वपूर्ण रिसर्च को टार्गेट कर रहे हैं। इनमें कोविड-19 को लेकर किए गए रिसर्च भी शामिल हैं।
चीन की एक अन्य चोरी का खुलासा तब हुआ जब अमेरिका में रहने वाला एक चीनी नागरिक पकड़ा गया। एक पेट्रोलियम कंपनी में एसोसिएट के पद पर काम करने वाले होंगजिन टैन नाम के व्यक्ति ने स्वीकार किया कि उसने $1 बिलियन के ट्रेड सीक्रेट चुराए। टैन ने अगले जेनरेशन के लिए बैटरी निर्माण की तकनीक को भी चुराया।