ईरान (Iran) रूस से नया और शक्तिशाली एयर-डिफेंस सिस्टम लेने का पूरा मन बना चूका है। इजरायली अधिकारियों का कहना है यह सुरक्षा प्रणाली तेहरान के परमाणु कार्यक्रम पर संभावित हमले को और मुश्किल बना देगी। वैसे बताया तो यह भी जा रहा है कि इजरायल और अमेरिका में लोगों का मानना है कि ईरान को एस-400 सिस्टम मिलने की संभावना से ‘संभावित हमले पर फैसला लेने में तेजी आएगी’। फिलहाल रूस की तरफ से यह ऐलान नहीं किया गया है कि वह हथियारों की सप्लाई करेगा।
यूक्रेन पर हो रहे हमलों के बाद मॉस्को और तेहरान काफी पास-पास आ गए हैं। एस-400 का इस्तेमाल शुरू होने में दो साल से भी कम समय लगेगा। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) ने पिछले हफ्ते तेल अवीव में एक सिक्योरिटी कान्फ्रेंस में ईरान पर संभावित हमले के बारे में कहा, आप जितना इंतजार करेंगे, यह उतना मुश्किल होता जाएगा। उन्होंने कहा, हमने बहुत लंबा इंतजार किया है। मैं आपको बता सकता हूं कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकने के लिए मैं कुछ भी करूंगा।
रूस ने दिया ईरान को ऑफर
हालांकि इजरायल या अमेरिका की तरफ से ईरान के साथ सीधा सैन्य टकराव वैश्विक तेल आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। पिछले शुक्रवार को अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने कहा कि रूस ने ईरान को ‘डिफेंस कॉर्पोरेशन’ का ऑफर दिया है जिसमें मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और एयर डिफेंस सिस्टम शामिल है। दूसरी तरफ ईरान के परमाणु कार्यक्रम ने पूरी दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। इंटरनेशनल मॉनिटरों ने पाया है कि यूरेनियम की शुद्धता 84 फीसदी तक पहुंच चुकी है, जो हथियारों के लिए कम से कम 90 प्रतिशत होनी चाहिए।
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भारत भी करता है एस-400 का इस्तेमाल
बाइडन प्रशासन सैन्य कार्रवाई से इनकार कर रहा है और कूटनीति को तरजीह दे रहा है। रूस का हवाई सुरक्षा कवच एस-400 बेहद शक्तिशाली है जिसका इस्तेमाल भारतीय सेना भी करती है। यह 250 किमी तक की सीमा में एयर टारगेट्स को मार गिरा सकता है। यह अपनी रेंज में आने वाले विमानों, हेलिकॉप्टरों और मिसाइलों को निशाना बना सकता है।