चुनाओं में हार-जीत लगी रहती है लेकिन कुछ लोगों के लिए सत्ता से बढ़कर कुछ नहीं होता और वो इसके लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। ऐसे ही कुछ हुआ प्रशांत सागर क्षेत्र में स्थित देश समोआ (Samoa) में। जहां पर, चुनाव में हार झेलने वाले प्रधानमंत्री ने अपना पद छोड़ने से इनकार कर दिया जिसके बाद नई प्रधानमंत्री के लिए संसद के दरवाजे तक बंद कर दिए गए। इसे देखते हुए देश की नई प्रधानमंत्री को संसद के बाहर तंबू लगाकर शपथ लेनी पड़ी।
समोआ में 22 साल बाद राजनीति में बदलाव, पहली महिला बनी प्रधानमंत्री
दरअसल, समोआ (Samoa) में हाल ही में हुए चुनाव के बाद दशकों बाद सत्ता परिवर्तन हुआ है। और देश को पहली महिला प्रधानमंत्री मिली हैं। लेकिन उन्हें टेंट में शपथ लेना पड़ा है। सत्ता जाने से नाखुश वर्तमान पीएम ट्विलाएपा सैलेले मैलिलेगाओई (Tuilaepa Sailele Malielegaoi) ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया था। हालात इतने खराब हो गए कि देश की मुखिया चुनी गईं नाओमी मताफा (Naomi Mataafa) को संसद के बाहर एक तंबू में शपथ लेनी पड़ी। दरअसल, विरोध के रूप में सत्तारूढ़ पार्टी ने संसद में ताला लगा दिया था। इसके बाद से ही देश में नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया है।
संसद में लगा ताला तो टेंट में लिया शपथ
समोआ में 40 सालों से शासन कर रही ह्यूमन राइट्स प्रोटेक्शन पार्टी (HRPP) को मताफा की FAST पार्टी ने अप्रैल में हुए चुनाव में सत्ता से हटा दिया था। इसके बाद जब वे सोमवार को पद के लिए शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने पहुंची, तो उन्हें संसद के अंदर नहीं जाने दिया गया, क्योंकि वर्तमान सत्ताधारी दल ने गेट पर ताला लगा दिया था। संसद में ताला लगा और विरोध देख मताफा अपने मंत्रियों के साथ संसद के बाहर ही टेंट में शपथ ली। उनके इस शपथ ग्रहण समारोह को मैलिलेगाओई मानने तैयार राजी नहीं हैं और उन्होंने इसे अनाधिकारिक करार दिया है।
समोआ ने चीन की 729 करोड़ रुपए की योजना को किया रद्द
समोआ, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप का एक द्वीपीय देश है जहां की आबादी करीब 2 लाख है। हाल ही में समोआ ने चीन को करारा झटका देते हुए चीन के 100 मिलियन डॉलर (लगभग 729 करोड़ रुपए) पोर्ट प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया। चीन अरसे से सामरिक महत्व वाले देशों को अपने कर्ज के जाल में फंसा, वहां रणनीतिक रूप से पहुंच बनाने की रणनीति पर काम कर रहा था। ऐसे में समोआ ने उसे जोरदार झटका दिया।
कैसा रहा सियासी गणित
HRPP और FAST के बीच देश में कड़ा मुकाबला हुआ था। जिसमें दोनों पार्टियों ने 25-25 सीटें अपने नाम की थीं, लेकिन इसके बाद एक निर्दलीय विजेता ने FAST को अपना समर्थन दिया था। इस फैसले के बाद HRPP ने सत्ता बचाने के लिए कानून का सहारा लिया और अदालत में कहा कि विरोधियों ने महिला सांसद कोटे का पालन ठीक तरह से नहीं किया है। नतीजा यह हुआ कि देश में चुनाव आयोग ने अप्रैल के मतदान के नतीजों को रद्द किया और 21 मई को नए चुनाव का ऐलान किया।
हालांकि, चुनाव से महज 5 दिन पहले देश के सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल के चुनाव को सही बताया। अदालत ने HRPP खिलाफ फैसला सुनाते हुए कहा कि मताफा का शपथ ग्रहण कार्यक्रम होना चाहिए। वहीं, मैलिलेगाओई ने इस चुनाव से पहले देश पर 22 सालों तक शासन किया था। और अब जाकर यहां पर सत्ता परिवर्तन हुआ है।