पाकिस्तान में स्थिति इस वक्त बहुत ज्यादे बिगड़ी हुई है। देश के अंदर कई तरह का भूचाल आया हुआ है जिसमें से सबसे बड़ा भूचाल महंगाई है जो इस वक्त चरम पर है। दूसरा यह कि FATF की ब्लैक लिस्ट में बरकरार रहने की वजह से पाकिस्तान की मुश्किलें इतनी बढ़ गई है कि अब देश चलाने के लिए पैसे नहीं बचे हैं। हाल ही में पाकिस्तान को बड़ा झटका देते हुए सऊदी अरब ने उसकी उम्मीदों पर पानी पेर दिया था। और अब एक बार फिर से सऊदी ने पाकिस्तान के सामने ऐसी शर्त रखी है जिसे सुनकर इमरान सरकार के होश उड़ गए हैं।
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दरअसल, कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इस उम्मीद के साथ सऊदी अरब गए थे कि उन्हें 3 अरब डॉलर की रकम मिल जाएगी। उनके दौरे के तुरंत बाद सऊदी अरब की ओर से कहा गया कि वह पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक में पैसा जमा कर रहा है लेकिन अभी तक पाकिस्तान को ये रकम नहीं मिली है। अब सऊदी अरब पाकिस्तान को पैसे तो देगी लेकिन ब्याज की रकम इतनी ज्यादा है कि पाकिस्तान और कर्ज में डूब जाएगा। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने 3 बिलियन डॉलर को लेकर सऊदी फंड फॉर डेवलपमेंट के साथ एक समझौता किया है। SBP अपने विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार करने के मकसद से यह समझौता कर रही है। मीडिया में आ रही खबरों की माने तो अक्टूबर आख़िरी में सऊदी अरब पाकिस्तान की फाइनेंशियल सपोर्ट को रिवाइव करने को तैयार हुआ था। इसमें 3 बिलियन डॉलर सुरक्षित जमा और 1.2 बिलियन डॉलर मूल्य की तेल आपूर्ति डैफर्ड पेमेंट्स पर शामिल थी। पिछले महीने पाकिस्तान के पीएम इमरान खान की सऊदी यात्रा के दौरान यह समझौता हुआ था।
पाकिस्तान सरकार की ओर कहा गया है कि, इस जमा समझौते के तहत सऊदी फंड फॉर डेवलपमेंट स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के साथ 3 बिलियन अमेरिकी डालर जमा करेगी। समझौते के तहत जमा राशि स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के विदेश मुद्रा भंडार का हिस्सा बन जाएगी। पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्टों के मुताबकि, 3 बिलियन डॉलर पर ब्याज के बारे में नहीं बताया गया है जबकि बैंकिंग सूत्रों का मानना है कि ब्याज दर ग्लोबल मार्केट की तुलना में अधिक है। ब्याज दर को लेकर पूछे गए सवालों पर स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान ने कुछ भी बोलने से मना कर दिया। बैंक ने कहा कि, समझौते के मुताबकि सभी शर्तें गोपनीय हैं और इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है। दोनों पक्षों की सहमति के बिना कोई जानकारी नहीं लीक की जा सकती है।