Hindi News

indianarrative

Pakistan के झूठ की खुली पोल! भारत के दोस्‍त संग रखी सीक्रेट दोस्‍ती

पाकिस्‍तान- इजरायल के बीच कोई राजनयिक रिश्‍ता नहीं

पाकिस्तान और इजरायल (Pakistan-Israel) के बीच किसी तरह का कोई राजनयिक रिश्‍ता नहीं है। इस साल की शुरुआत में दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में उस समय तनाव आ गया जब इजरायली एजेंसी ने पाकिस्‍तान के पांच नागरिकों को उस समय गिरफ्तार कर लिया जब ये इजरायल की यात्रा कर रहे थे। मगर अब दोनों देशों के बीच ऐसी सीक्रेट दोस्‍ती है कि पाकिस्‍तानी जांच एजेंसियां तक इसकी टेक्‍नोलॉजी प्रयोग कर रही है। भारत जो इजरायल का अच्छा दोस्त है, उसके लिए नई खबर थोड़ी परेशान करने वाली हो सकती है। इजरायली अखबार हेरात्‍ज की तरफ से इस बाबत एक रिपोर्ट जारी की गई है।

राजनयिक रिश्‍ते में कुछ नहीं

पाकिस्‍तान और इजरायल के बीच राजनयिक रिश्‍ते न के बराबर है और अगर पाकिस्‍तानी इजरायल पहुंचता है तो फिर उस पर केस चलता है। लेकिन इसकी जांच एजेंसी और पुलिस अपने नागरिकों के फोन हैक करने के लिए एडवांस्‍ड इजरायली टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग करती है। कई शिपिंग डॉक्‍यूमेंट्स से इस बात की जानकारी मिलती है कि इजरायली सेलेब्राइट के इक्विपमेंट्स सिंगापुर के जरिए पाकिस्तान को बेचे गए हैं। आधिकारिक कॉन्‍ट्रैक्‍ट्स से भी पता लगता है कि एजेंसियां निरंतर इसका उपयोग कर रही हैं। साल 2012 में भी एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि सिंध में पुलिस इजरायली सिस्‍टम का प्रयोग कर रही है। पाकिस्तान के पासपोर्ट के मुताबिक उसके तहत इजरायल की यात्रा नहीं की जा सकती है। इसके बाद साल 2018 में इस्लामाबाद में एक मिलिट्री बेस पर इजरायली एयरक्राफ्ट ने लैंडिंग की थी। इस जानकारी पर पाकिस्‍तान को खासी आपत्ति थी। पिछले साल भी पाकिस्तानियों के दो प्रतिनिधिमंडलों के इजरायल जाने की खबरें भी काफी चर्चा में थीं। एक रिपोर्ट इस साल की शुरुआत में भी आई थी।

ये भी पढ़े: Israel ने पाकिस्‍तान की इस मामले में की जमकर धुलाई? पोल खुलने पर बौखलाए शहबाज

पहली बार 2019 में हुआ जिक्र

साल 2019 में एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि उस साल की शुरुआत में कम से कम दो दर्जन पाकिस्तानी सरकारी अधिकारियों के मोबाइल फोन को हैक किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि इजरायली स्पाइवेयर कंपनी एनएसओ की टेक्‍नोलॉजी का प्रयोग हैकिंग के लिए हुआ था। सूत्रों के हवाले से तब बताया गया था कि कई पाकिस्तानी सीनियर डिफेंस और इंटेलीजेंस अधिकारी उन लोगों में से थे, जिनके साथ समझौता किया जा सकता था।