SIPRI Report: इमरान खान सरकार के पास सरकारी कर्मचारियों को सैलेरी देने के पैसे नहीं। महंगाई आसमान को छू रही है। आटा 100 रुपये किलो, दाल 350 रुपये किलो पाकिस्तान में महंगाई का ये महज ट्रेलर है। आलम ये है कि पाकिस्तानी सरकार हर देश के सामने कटोरा लेकर खड़ी रहती है। कहीं से भी उधार मिले जाए। लेकिन उधार के पैसों से इमरान खान देश की जनता का भला नहीं कर रहे। बल्कि उधार में मिले हुए पैसों से चीनी हथियार खरीद रहे हैं। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।
SIPRI Report के मुताबिक 2016 से 2020 के बीच एशिया और ओशिनिया (Asia and Oceania) क्षेत्र में सबसे ज्यादा हथियार आयात हुए। वैश्विक हथियार खरीद (Global Arms Deal) की बात करें तो एशिया और ओशिनिया सबसे बड़ा बाजार है। करीब 42 फीसदी हथियार इसी क्षेत्र में आयात होते हैं। जिन देशों ने सबसे ज्यादा हथियार पाकिस्तान (Pakistan), चीन (China), दक्षिण कोरिया (South Korea), ऑस्ट्रेलिया (Australia) और भारत (India) ने खरीदे।
चीनी हथियारों पर निर्भर पाक
इस रिपोर्ट में यह बात भी सामने आई है कि 2016 से 2020 के बीच चीन का हथियारों का निर्यात घटा है। हथियारों के निर्यात के मामले में दुनिया में पांचवें नंबर पर आने वाले चीन को पिछले पांच साल में झटका लगा है। 2011-15 से 2016-20 की तुलना करें तो उसके निर्यात में 7.80 फीसदी की कमी आई है। चीन के हथियारों का बाजार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अल्जीरिया हैं। पाकिस्तान ने आयातित कुल हथियारों का 74 फीसदी हिस्सा अकेले चीन से खरीदा है। साफ है कि पाकिस्तान दुनिया भर के देशों से उधार मांगता फिरता है और इन पैसों से चीन के हथियार खरीदकर शी जिनपिंग की जेब भरता है।
भारत ने कम किया हथियारों का आयात
इस रिपोर्ट में एक और बात सामने आई है कि ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) जैसी पहल के बाद भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम हुई है। 2011-15 से 2016-20 की तुलना की जाए तो भारत के हथियारों के आयात में 33 फीसदी की कमी आ गई है। भारत के आयात कम करने से सबसे ज्यादा झटका रूस को लगा है। हालांकि अमेरिका के साथ भी आयात 46 फीसदी घट गया है। इस रिपोर्ट में इसके पीछे का कारण बताया गया कि भारत खुद बड़े पैमाने पर हथियार बना रहा है।