Hindi News

indianarrative

China को मुँह तोड़ जवाब देने की तैयारी में ताइवानी सेना, कर रही ‘प्रलय के द‍िन का अभ्‍यास’

चीन (China) इस समय बौखलाया हुआ है. वजह है- ताइवान। अमेरिका और ताइवान की नजदीकियां उसे परेशान कर रहीं हैं। ताइवान खुद को आजाद मुल्क बताता है तो चीन का कहना है कि वो उसका हिस्सा है। चीन, ताइवान के अस्तित्व को नकारता आया है। वो हर हाल में उसके एकीकरण का सपना देखता है। ऐसे में अब ताइवान भी चीन को मुँह तोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। जी हाँ,चीन की सेना के हमले के खतरे का सामना कर रही ताइवानी सेना ने अब इस ‘प्रलय’ के दिन की तैयारी तेज कर दी है। ताइवान की सेना सोमवार से लेकर शुक्रवार तक एक व्‍यापक अभ्‍यास करने जा रही है। इस दौरान चीनी हवाई हमले से बचाव और आक्रमण की सूरत में ताइवानी लोगों को किस तरह से तैयार किया जाए, इसका अभ्‍यास किया जाएगा। ताइवानी रक्षा मंत्रालय के मुता‍बिक इस दौरान लाइव फायर अभ्‍यास से लेकर सैनिकों की युद्धक तैयारी को परखा जाएगा।

ड्रैगन को मुँह तोड़ जवाब देने की तैय्यारी में ताइवानी सेना

इस अभ्‍यास के दौरान आम नागरिकों को सुरक्षित जगहों पर शरण लेनी होगी। इसके अलावा सड़कों पर मौजूद ड्राइवरों से कहा जाएगा कि वे अपनी कार को रोक दें और उसे खाली कर दें। ताइवान के इस पूरे अभ्‍यास का मकसद चीनी हमले में कम से कम जनहानि हो, इसका प्रयास करना है। ताइवान यह अभ्‍यास ऐसे समय पर कर रहा है जब चीन बहुत ही आक्रामक व्‍यवहार दिखा रहा है और ताइवानी सरकार को डराने की कोशिश कर रहा है। चीन के फाइटर जेट अक्‍सर ताइवानी सीमा के पास घुसपैठ करते रहते हैं।

 ताइवान पर हमले की तैयारी कर रहा है चीन?

इसके अलावा चीन (China) के युद्धपोत ताइवान की जलसीमा के पास युद्धाभ्‍यास करते रहते हैं। पिछले कुछ सप्‍ताह में चीन ने अपने रुख को और आक्रामक कर दिया है। चीन ने ताइवान को घेरने के लिए पिछले कुछ सप्‍ताह में रेकॉर्ड नंबर पर युद्धपोत भेजे हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने बाइडन सरकार के आकलन के हवाले से बताया कि चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग साल 2025 में या 2027 में ताइवान को लेकर लड़ाई शुरू करने की तैयारी में हैं। ताइपेई शहर की सरकार ने कहा कि हवाई हमले के सायरन पर छिपने की जगह पता होने और बचाव अभियान की प्रक्रिया का पता होने पर असली हमला होने की सूरत में लोगों की जान को बचाना आसान होगा।

यह भी पढ़ें: Taiwan पर China का कहर! DF-17 की तैनाती से सकते में अमेरिका?