तीस अगस्त की रात 11 बजकर 59 मिनट पर अमेरिका की फौजों ने अफगानिस्तान को पूरी तरह छोड़ते ही तालिबान का बहशी-बर्बर चेहरा सामने आ गया है। तालिबानी गुर्गे रात भर काबुल के आसमान में गोलियां दागते रहे। सुबह हुई तो पहला वीडियो कंधार से आया। जिसमें एक ब्लैक हॉक हेलिकॉप्टर आसमान में चक्कर काट रहा था। इस हेलिकॉप्टर से डेड बॉडी लटकी हुई थी। यह डेड बॉडी एक अफगानी ट्रांसलेटर की थी। जिसने अमेरिकी फौज की मदद की थी।
इसके बाद लगातार खबरें आ रही हैं कि तालिबान शहरों में ऐलान कर रहे हैं। घरों की दीवार पर पर्चे चिपका रहे हैं। इन पर्चों पर अमेरिकी फौजों के मददगारों के लिए हुक्म जारी किया गया है कि वो खुद तालिबान अदालत में सामने पेश हो जाएं। पेश न होने पर गिरफ्तार कर लिया जाएगा और सरेआम मौत की सजा दी जाएगी। अफगानिस्तान में अभी दो लाख से ज्यादा वो लोग हैं जिन्होंने अमेरिकी फौजों को मदद की है।
तालिबान, अमेरीकियों की तरह ही उनके मददगारों के साथ भी दुश्मन की तरह व्यवहार कर रहे हैं। तालिबान के इस तरह के हुक्मनामों से काबुल और अन्य शहरों में खौफ फैला हुआ है। अमेरिकी फौज के मददगार इस समय दुधारी तलवार पर चल रहे हैं। अगर वो तालिबानी अदालतों के सामने सरैंडर कर रहे हैं तो उनकी जुबान काट दी जारी है या अन्य अंग-भंग किया जा रहा है। कुछ को पकड़ कर ऐसी जेलों में डाला जाने लगा है जहां से जिंदा निकल कर आना मुश्किल है।
तालिबानी आतंकियों के पास अमेरिकी बायो मीट्रिक डिवाइस भी हैं। इन डिवाइसों पर वो अमेरिकी फौजों के संदिग्ध मददगारों से उंगली रखवा रहे हैं। उंगली रखते ही अफगानियों का सारा डेटा स्क्रीन पर आ रहा है। उस डेटा को देखकर तालिबान उन्हें पकड़ कर ले जा रहे हैं। जिन अफगानियों को तालिबान गंभीर संकट मान रहे हैं उनको ऑन द स्पॉट ही गोली मार कर सजा-ए-मौत दे रहे हैं।
तालिबानियों के निशाने पर अफगान सरकार के वो अफसर भी हैं जो आईएमए (इंडियन मिलिटरी एकेडमी) से पास आउट हैं। तालिबान आईएमए से पास आउट अफसरों की हत्या पाकिस्तान के दबाव में कर रहा है। तालिबान ने खबरों पर सेंसर कर दिया है इसलिए उनकी बर्बरता की तस्बीरें दुनिया के सामने नहीं आ पा रही हैं, लेकिन तालिबान ने 24 घण्टे में ही बर्बरता के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।