अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर कब्जे के तकरीबन 20 दिनों के बाद तालिबान ने पंजशीर घाटी पर भी कब्जा करने का दावा किया हैं। उसने कहा कि पंजशीर रेजिस्टेंस को उसने मात दे दी है। हालांकि रेजिस्टेंस लीडर्स का दावा है कि यहां पर अभी भी लड़ाई जारी है। पिछले कई दिनों से पंजशीर प्रांत में अहमद मसूद और अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह तालिबान के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
'पजंशीर में उनकी जीत, पंजशीर में मेरा आखिरी दिन होगा, इंशाल्लाह।' यह कहना है नॉर्दन एलायंस के नेता अहमद मसूद का जिन्होंने पंजशीर घाटी पर तालिबानी कब्जे के दावे को सिरे से नकार दिया। वहीं पंजशीर से तालिबान को चुनौती दे रहे अमरुल्लाह सालेह खुद एक वीडियो के जरिए सामने आए हैं और उन्होंने कहा कि वह देश छोड़कर भागे नहीं हैं। उन्होंने कहा है कि वह पंजशीर घाटी में ही हैं और रेसिस्टेंस फोर्स के कमांडरों और राजनीतिक हस्तियों के साथ हैं।
The RESISTANCE is continuing and will continue. I am here with my soil, for my soil & defending its dignity. https://t.co/FaKmUGB1mq
— Amrullah Saleh (@AmrullahSaleh2) September 3, 2021
बता दें कि पिछले चार दिन से पंजशीर में तालिबान और रेजिस्टेंस फोर्सेज के बीच जबर्दस्त लड़ाई चल रही है। गुरुवार रात लड़ाई इस कदर भीषण हो गई थी कि अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी को दोनों पक्षों से शांति की अपील करनी पड़ी थी। इस बीच पंजशीर रेजिस्टेंस के नेता अमरुल्लाह सालेह के ताजिकिस्तान भागने की खबरें भी आ रही थीं। हालांकि बाद में अमरुल्लाह ने एक वीडियो में दावा किया कि वह पंजशीर में ही हैं और यहां पर लड़ाई जारी है।
अहमरुल्लाह सालेह ने दावा किया है कि पंजशीर पर तालिबान, पाकिस्तान और कई अन्य आतंकी संगठनों की नजर है। उन्होंने तालिबान पर पंजशीर के लिए भेजी जाने वाली मदद को रोकने का भी आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पंजशीर के मासूम लोगों को तालिबान पहाड़ों पर खदान में काम करने के लिए भेज रहा है।