अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जा के पीछे सबसे बड़ा हाथ पाकिस्तान का ही रहा है। पाकिस्तान ने ही तालिबान की मदद की जिसके चलते वो अफगानिस्ता पर कब्जा कर सका। इमरान खान शुरुआत से ही तालिबानियों की गुणगान कर रहे हैं यहां तक कि विश्व मंच पर वो अपना भोंपू लेकर चिल्लाते रहे हैं कि दुनिया के बाकी देश तालिबान का समर्थन करें। लेकिन अब जिस पाकिस्तान ने मदद किया उसी के लिए तालिबान नासूर बन गया है। तालिबान ने अपने लड़ाकों से पाकिस्तान पर हमला करने का आदेश दिया है।
पाकिस्तान और तहरीक-ए-तालिबा के बीच सीजफायर चल रहा था लेकिन अब तालिबान ने कहा है कि वो इस सीजफायर को खत्म कर रहे हैं। इसके साथ ही तालिबान ने अपने लड़ाकों को आदेश दिया है कि वो अब पाकिस्तान पर हमला करना शुरू कर दें। तालिबान ने पाकिस्तान की इमरान खान पर आरोप लगाया है कि वो उनके पूर्व में लिए गए फैसलों को सम्मान नहीं दे रही है। गुरुवार को तालिबान ने इमरान खान सरकार के साथ पिछले एक महीने से चले आ रहे सीजफायर को खत्म कनरे का ऐलान कर दिया।
डॉन की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि, पहले टीटीपी और पाकिस्तान के बीच वार्ता के कई दौर चले थे। अफगान तालिबान, पाकिस्तान और टीटीपी के बीच मध्यस्थता करना के लिए राजी हुआ था और वो दोनों ही तरफ से इसमें अपनी भूमिका निभा रहा था। 25अक्टूबर 2021को पाकिस्तान सरकार और टीटीपी 6बिंदुओं पर समझौते के करीब पहुंचे थे। इसके अलावा दोनों ही तरफ से सीधे फेस-टू-फेस बातचीत भी अफगानिस्तान के साउथ-वेस्टर्न खोस्ट प्रक्षेत्र में करीब दो हफ्ते पहले हुई थी। इसमें दोनों के बीच शांति बनाए रखने को लेकर चर्चा हुई थी।
लेकिन, इस बीच टीटीपी ने पाकिस्तान से सीजफायर रोकने के लिए शरिया कानून लागू करने और आदिवासी इलाकों को उनके पूर्व का स्टेटस देने की शर्त कायम रखी है। शरिया कानून को लेकर इमरान सरकार से टीटीपी की बात नहीं बन पाई है। टीटीपी के नेता मुफ्ति नूर वली महसूद ने पाकिस्तान के साथ सीजफायर खत्म करने का ऐलान किया है। इसके साथ ही उन्होंने अपने लड़ाकुओं से कहा है कि वो अब पाक पर हमला शुरू कर दें। टीटीपी के इस ऐलान के बाद माना जा रहा है कि एक बार फिर पाकिस्तान में शांति व्यवस्था को भी नुकसान पहुंचने वाला है।