अफगानिस्तान में अभी तालिबान की सरकार बनी नहीं है और वादा खिलाफी की बर्बर तस्वीरें सामने आने लगी हैं। तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्लाह मुजाहिद ने 17अगस्त की शाम को कहा था कि तालिबान बदल गया है। लेकिन जबीहउल्लाह का ये बयान बुधवार को ही झूठा साबित हो गया है। क्योंकि महिलाओं को लेकर लगातार प्रताड़ना की खबरें आ रही हैं, महिलाओं को लेकर कई तरह के कानून बना दिए गए हैं। कहा जा रहा है कि तालिबान पहले से भी सख्त कानून के साथ वापस लौटा है, और दुनिया के सामने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सिर्फ झूठा दिखावा कर रहा है। अब तालिबानी अफगान नागरिकों को जींस और पश्चिमी कपड़े पहनने पर भी सजा सुनाते हुए सड़कों पर सरेआम कोड़े मार रहे हैं।
सोशल मीडिया पर कई युवा अफगानों ने फोटो और वीडियो पोस्ट कर बताया है कि, उन्हें इस्लाम का अनादर करने का आरोप लगाकर जींस पहनने पर तालिबानी लड़ाकों द्वारा पीटा गया। एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा गया कि ये लड़के काबुल में दोस्तों के साथ घूम रहे थे। इसी दौरान तालिबान लड़ाकों ने उन्हें पकड़ लिया। लड़कों ने कहा कि उनके दो दोस्त घटनास्थल से भाग गए। लेकिन उन्हें गनप्वाइंट पर रोक लिया गया और सड़क पर पटक दिया गया और कोड़े मारे गए।
वहीं, तालिबान के एक अधिकारी का कहना है कि, संगठन पुरुषों के लिए भी ड्रेस कोड पर फैसला कर रहा है, लेकिन यहां तो मंजर कुछ और ही है, हर दिन तालिबानी अफगानों पर जुर्म कर रहे हैं, तालिबान पश्चिमी कपड़ों की अनुमति देने के लिए तैयार नहीं है, जो पारंपरिक अफगान पोशाक से हटकर हैं। इसके साथ ही अफगानिस्ता में तालिबान के आते ही बुर्के के दाम दो गुना बढ़ गए हैं और बिक्री में वृद्धि हुई है।
खबरों की माने तो, एक पत्रकार को पूरे शरीर को ढकने वाले गाउन जैसे अफगान कपड़े नहीं पहनने के लिए पीटा गया था। इससे पहले भी अपने शासन काल में तालिबान अफगानिस्तान में सरिया कानून के साथ साथ कई कानून लागू किया था। उस दौरान भी पुरुषों को पारंपरिक कपड़े पहनना पड़ता था और लड़कियों को आठ साल की उम्र से ही बुर्का पहनने के लिए मजबूर किया जाता था। वहीं, जहां एक तरफ पोशाक को लेकर तालिबान शख्त हो रहा है तो वहीं, अफगानिस्ता में उसके खुद के लड़ाकों को पश्चिमी चीजों को पहनते हुए देखा गया है। इसमें धूप का चश्मा, बेसबॉल टोपी और जूते जैसी पश्चिमी चीजें शामिल हैं।