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अफगानिस्तान में Pakistan का उलटा पड़ा दांव, मुश्किल में Imran Khan, Taliban ने रिहा कर दिए TTP के हजारों लड़ाके

अफगानिस्तान की जेलों से टीटीपी के लड़ाके रिहा, पाकिस्तान की बढ़ीं मुश्किलें बढ़ीं

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो चुका है लेकिन अभी तक सरकार अस्तित्व में नहीं आई है। चीन और पाकिस्तान ऐसे इतरा रहे हैं जैसे कि उनकी लॉटरी लग गई हो। उन्होंने सरकार बनने से पहले ही तालिबान का समर्थन कर दिया है। तालिबान आतंकी संगठन है। उसकी करनी और करनी में क्या अंतर है, इसको परखे बिना ही चीन की प्रतिक्रिया से लग रहा है कि अफगानिस्तान की बर्बादी में चीन की खुफिया एजेंसियों का भी हाथ है।

बहरहाल, भारत ने तालिबान की सरकार बनने तक वेट एंड वॉच की रणनीति बनाई है। क्योकि तालिबान के प्रवक्ता जबीहउल्लाह मुजाहिद ने एक टीवी चैनल से कहा है कि तालिबान अफगानिस्तान की धरती को किसी भी देश के खिलाफ इस्तेमाल करने की इजाजत नही देगा। इसी को देखते हुए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार की देर रात ऐलान किया कि अफगानिस्तान में रहने वाले सिख-हिंदुओं के अलावा अन्य जो भी अफगानी मदद मांगेगा, भारत उसको मदद करेगा और शरण देगा।

मोदी ने यह भी ऐलान किया कि काबुल में दूतावास को अभी बंद नहीं किया जाएगा। भारत वीजा जारी करता रहेगा। भारतीय रणनीतिकारों ने कहा है कि तालिबान की ओर से जो संकेत मिल रहे हैं उनको परखने का समय है। आगे की रणनीति तालिबान का रुख देख कर तय की जाएगी। हालांकि, तालिबान के दूसरे प्रवक्ता सोहेल शाहीन की भाषा जबीह उल्लाह मुजाहिद से अलग थी। सोहेल शाहीन की भाषा मे पाकिस्तानी नैरेटिव ज्यादा झलक रहा था। इसलिए भारत का रुख कुछ अलग था।

ऐसा बाताया जाता है कि भारत के रुख में तब्दीली को देखने के तुरंत बाद जबीहउल्लाह मुजाहिद ने के प्रेस कान्फ्रेंस की और अपने बयान से सोहेल शाहीन की गल्तियों को सुधारने की कोशिश की। इंटरनेशनल हेपनिंग्स पर निगाह रखने वाले जर्नलिस्ट का कहना है कि जबीह उल्लाह मुजाहिद की भाषा पाकिस्तान के लिए बड़ा अल्टीमेटम है।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान समेत जो पाकिस्तानी तालिबान की फतह से खुश होकर नाच रहे थे उन सबकी हवा जबीहउल्लाह मुजाहिद ने निकाल दी है। मुजाहिद ने कहा, ''हम अपने पड़ोसियों और क्षेत्रीय देशों को भरोसा देना चाहते हैं कि हम अपनी जमीन का इस्तेमाल दुनिया में किसी देश के खिलाफ नहीं होने देंगे।  मुजाहिद ने जोर देकर कहा कि इस्लामिक अमीरत दुनिया के देशों से यह वादा कर रहा है कि अफगानिस्तान से किसी देश के लिए कोई खतरा पैदा नहीं होगा।

तालिबान ने यह वादा ऐसे समय पर किया है जब भारत सहित दुनिया के अधिकतर देश इस बात को लेकर चिंतित हैं कि तालिबानी शासन में एक बार फिर आतंकी गिरोहों के लिए सेफ शेल्टर बन जाएगा। अफगानिस्तान में चीन, पाकिस्तान और रूस जैसे चंद देशों को छोड़कर बाकी ने अपने दूतावासों पर ताले लटका दिए हैं।

जबीहउल्लाह मुजाहिद ने भले ही जो कहा है लेकिन असलीयत में क्या होगा ये तो सरकार बनने और चलने के बाद ही पता चलेगा। लेकिन जिस तरह से अफगानिस्तान की जेलों से आतंकियों को छोड़ा जा रहा है वो चिंता का विषय दुनिया के लिए है। खासतौर पर पाकिस्तान के लिए क्यों कि तालिबान ने काबुल जेल से जिन आतंकियों को रिहा किया है उनमें अधिकांश टीटीपी (तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान) के आतंकवादी हैं। टीटीपी, तालिबान की फतह से पहले ही पाकिस्तान से जंग-ए-आजादी का ऐलान कर चुका है।