काबुल में सत्ता के गठन से पहले तालिबान ने भारत से सहयोग मांगा है। तालिबान और भारत के प्रतिनिधि की मुलाकात से पाकिस्तान और चीन की पेशानी पर पसीना आ गया है। यह मुलाकात कतर की राजधानी दोहा में तालिबान की गुजारिश पर की गई। तालिबान के प्रतिनिधि शेर मुहम्मद स्तानिकजई ने दोहा में भारतीय दूतावास पहुंच कर भारतीय राजदूत दीपक मित्तल से मुलाकात की।
इस मुलाकात में तालिबान के प्रतिनिधि शेर मोहम्मद स्तानिकजई ने भरोसा दिया है कि भारतीयों को सुरक्षित यात्रा की गारंटी दी जाएगी। शेर मोहम्मद स्तानिकजई ने यह भी कहा है कि अफगान नागरिक और वहां के अन्य अल्प संख्यकों को भी भारत आने की इजाजत दी जाएगी। इस वार्ता में यह भी तय हुआ है कि अफगानिस्तान में आतंक को जगह नहीं दी जाएगी। अफगानिस्तान की जमीन को भारत के खिलाफ भी इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
ध्यान रहे जून में कतर के विशेष दूत मुतलाक बिन मजीद अल कहतानी ने दावा किया था कि भारतीय अधिकारियों ने तालिबान के नेताओं से मुलाकात के लिए दोहा का दौरा किया है। उन्होंने तब कहा था कि भविष्य में अफगानिस्तान में तालिबान की भूमिका को समझते हुए हर पक्ष बातचीत को तैयार था। रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि भारतीय अधिकारियों की बातचीत राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के दिशानिर्देश में आगे बढ़ी। हालांकि, तब न भारत सरकार ने और न ही तालिबान ने इसकी पुष्टि की।
तालिबान नेता शेर मुहम्मद स्तानिकजई और भारतीय राजदूत दीपक मित्तल की बातचीत के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बिलबिला रहा है। पाकिस्तान को लग रहा है कि तालिबान भारत के नजदीक पहुंच गया तो पहले जैसे हालात बन सकते हैं। कुछ न कर पाने के हालात में पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने कहा है कि अफगानिस्ता में तालिबान के साथ कोई समझौता करते समय पाकिस्तान की अवहेलना करने के नतीजे बेहद खराब हो सकते हैं। दरअसल, पाकिस्तान किसी भी स्थिति में तालिबान और भारत के बीच संबंध बहाली के खिलाफ है। पाकिस्तान को डर है कि तालिबान भारत के नजदीक चला गया तो एकबार फिर उसे अफगान बॉर्डर पर खतरे पैदा हो सकते हैं। भारत डेवलपमेंटल प्रोजेक्ट के बहाने तालिबान को अपने पक्ष में कर सकता है।