अफगानिस्तान पर कब्जा करने वाले तालिबान ने कंधार और हेरात के बंद पड़े भारतीय दूतावासों के ताले तोड़कर लूट-पाट मचा दी है। दूतावासों के वेशकीमती चीजों और वाहनों को तालिबान उठाकर ले गए हैं। काबुल में तालिबान ने हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला की नजरबंदी बढा दी गई है। करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला की आवाजाही प्रतिबंधित कर दी गई है। अफगानिस्तान के ये दोनों नेता तालिबान के निर्देश के बिना घर से बाहर नहीं निकल सकते हैं। तालिबान की इस कार्रवाई से साफ हो गया है कि सत्ता के हस्तांतरण का ढोंग किया जा रहा है। तालिबान किसी भी समय करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला की गिरफ्तारी का ऐलान कर सकता है।
तालिबान सत्ता पर काबिज तो पहले ही हो चुका है। अफगानिस्तान का झण्डा राष्ट्रपति पैलेस और सभी सरकारी इमारतों से हटा दिया गया है। तालिबानी सत्ता के चेहरों का ऐलान करना बाकी है। तालिबानी सत्ता के चेहरों का ऐलान इसलिए नहीं हो पाया है क्योंकि तालिबान नेताओं में अभी तक तय नहीं हो पाया है कि नेतृत्व किसके हाथ में रहेगा। इधर आतंकी संगठन हक्कानी नेटवर्क का सरगना सिराजुद्दीन हक्कानी ने तालिबानी सत्ता संगठन की बागडोर अपने हाथ में ले ली है।
हक्कानी चाहता है कि तालिबानी सत्ता में कोई भी ऐसा तत्व शामिल न हो जो किसी भी तरह अमेरिका से प्रति थोड़ी भी नरमी रखता हो। सिराजु्द्दीनी हक्कानी हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला पर भी विश्वास नहीं करता है। इसीलिए काबुल आते ही उसने सबसे पहले करजई और अब्दुल्ला-अब्दुल्ला को नजरबंदी बढ़ा दी है।
इधर, तालिबान ने घर-घर जाकर उन अफगानी सैनिकों-अफसरों की तलाशी शुरू कर दी है, जिन्होंने सरकारी इंटेलीजेंस एजेंसी के लिए काम किया या फिर अमेरिका के लिए काम किया है। सिराजुद्दीन हक्कानी ने क्वेटा से अपने छोटे भाई अनस हक्कानी को काबुल भेजा है। अनस ने काबुल पहुंचते ही हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला को तलब कर लिया।
अपुष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अनस हक्कानी ने हामिद करजई और अब्दुल्ला अब्दुल्ला को किसी भी तरह की डेमोक्रेसी के बजाए तालिबान सत्ता कबूलने की चेतावनी दी है। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं कि राष्ट्रपति भवन में तालिबान नेता मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को औपचारिक रूप से सत्ता सौंपने के लिए करजई और अब्दुल्ला दोनों से बातचीत की जा रही है।
हालांकि यह सिर्फ आंखों का धोखा है। क्योंकि पैलेस और सत्ता पर तालिबान काबिज हैं। ऐसी भी जानकारी मिली है कि तालिबान में शामिल आंतकी गुटों में अभी तक अफगानिस्तान के बंटवारे को लेकर सहमति नहीं बन पाई है। हक्कानी नेटवर्क काबुल पर नियंत्रण चाहता है। क्यों कि जो काबुल पर राज करेगा उसी का राज अफगानिस्तान पर माना जाएगा।
तालिबान के मौजूदा सरगना हैबतुल्ला अखुंदजादा को हक्कानी नेटवर्क की यह शर्त मंजूर नहीं है। तालिबान का संस्थापक मुल्ला उमर का बेटा और तालिबान सैन्य आयोग का प्रमुख मुल्ला याकूब का गुट कंधार पर कब्जा चाहता है। मुल्ला याकूब अपनी सत्ता में काबुल का हस्तक्षेप मंजूर नहीं है। इसीलिए दो दिन पहले जब मुल्ला बरादर कंधार पहुंचा तो उसने मुल्ला याकूब से इसी मुद्दे पर लंबी बात-चीत की थी, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।