तालिबान के कब्जा के बाद से अफगानिस्तान में स्थिति बेहद ही खराब होते जा रही है, देश बड़ी आर्थिक तंगी से गुजर रहा है। देश की स्थिति बदतर होते जा रही है। जनता सड़कों पर आ गई है यहां तक कि लोग अपना जीवन चलाने के लिए अपने घरों का किमती सामना तक बेच रहे हैं। इसके साथ ही तालिबान वही शासन लागू कर रहा जो वो पिछली सरकार में लागू किया था। साथ ही महिलाओं से जुड़े मंत्रालयों को हटाकर पाबंदी लगाने वाला नया मंत्रालय बनाया है।
तालिबान शासकों ने अफगानिस्तान में महिला मामलों के लिए मंत्रालय के एक भवन से शनिवार को विश्व बैंक के कार्यक्रम में कर्मचारियों को जबरन बाहर कर सदाचार प्रचार एवं अनगुण रोकथाम मंत्रालय स्थापित कर दिया है। काबुल पर कब्जा कर सरकार में आने के महज एक महीने बाद तालिबान द्वारा महिलाओं के अधिकारों पर पाबंदी लगाने वाला यह एक नया कदम है।
विश्व बैंक के 10 करोड़ डॉलर के महिला आर्थिक सशक्तिकरण एवं ग्रामीण विकास कार्यक्रम को शनिवार को यह कहते हुए जमीनी स्तर पर बंद कर दिया गया कि कार्यक्रम के सदस्य शरीफ अख्तर हटाए जा रहे लोगों में शामिल हैं। अफगान वूमंस नेटवर्का का नेतृत्व करने वाली मबौबा सुराज ने कहा कि वह महिलाओं और लड़कियों के लिए तालिबान सरकार द्वारा जारी आदेशों से हतप्रभ हैं। इस बीच तालिबान द्वारा संचालित शिक्षा मंत्रालय ने सातवीं से 12 वीं कक्षा के लड़कों को अपने पुरूष शिक्षकों के साथ शनिवार से स्कूल आने को कहा, लेकिन इन कक्षाओं में स्कूल आने वाली लड़कियों का कोई जिक्र नहीं किया गया।
बताते चलें कि, तालिबान के आने के बाद से अफगानिस्तान के लोगों में खौफ भरा हुआ है। तालिबान एक तरफ तो दूनिया के सामने अपना बदला हुआ चेहरा दिखाने की कोशिश कर रहा है लेकिन असल में हकिकत यह है कि वह महिलाओं के प्रति पहले से और क्रूर हो गया है। महिलाओं को बुर्का पहनना अनिवार्य कर दिया है, इसके साथ ही महिलाएं बिना पुरुष के बाहर नहीं जा सकती, चुश्क कपड़ें नहीं पहन सकती। इसके साथ ही तालिबान कई और सख्त कानून लागू कर रहा है।