अफगान फोर्सेस को जब भारत ने मदद करनी शुरू की तो अफगानिस्तान में आतंक मचा रहा तालिबानी घबरा गया है। भारत को मदद करता देख तालिबान ने दोस्ती का संकेत देते हुए कहा है कि, वह भारत को पाकिस्तान की नजरों से नहीं देखता है। अफगानिस्तान में भारत सहित किसी भी देश के इकोनॉमिक प्रोजेक्ट्स को कोई खतरा नहीं है।
दरअसल, अमेरिकी सैनिकों के वापसी के बाद से तालिबान अफगानिस्तान में आंतक मचा रहा है। तालिबान के बढ़ते कदमों से भारत भी चिंतित है, क्योंकि भारत ने बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान में निवेश किया है। भारत के बढ़ते इस कदम से तालिबान की चिंता बढ़ गई है और उसे अब डर सताने लगा है जिसके बाद भारत के साथ दोस्ती का संकेत दिया है।
आतंकी संगठन तालिबान का कहना है कि, अगर भारत अशरफ गनी सरकार की ओर से की जा रही गोलीबारी का समर्थन करना बंद कर देता है तो, वह उसके प्रोजक्ट्स को कई नुकसान नहीं पहुंचाएगा। ऐसा पहली बार है जब तालिबान ने कथित तौर पर भारत से समझौते की बात कही है। खबरों की माने तो तालिबान प्रतिनिधिमंडल ईरान, रूस और चीन जैसे देशों से बातचीत कर रहा है और कुछ हद तक इसी तरह के प्रस्ताव सौंप रहा है।
तालिबान प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ही संगठन के संदेशों को अंतरराष्ट्रीय मीडिया तक पहुंचाता है। अपने एक इंटरव्यू के दौरान उसने कहा है कि, हम किसी भी देश की आर्थिक पिरयोजनाओं को लेकर धमकी नहीं दे रहे हैं और न ही विरोध कर रहे हैं। हम अफगानिस्तान में निवेश करने वाले देशों के पक्ष में हैं। हमने कुछ दिन पहले चीन की यात्रा की थी। चीन से हमारी मुख्य मांगों में से एक यह थी कि वे अफगानिस्तान के साथ व्यापार और निवेश में सहयोग करे। इसके साथ ही जबीउल्लाह का कहना है कि तालिबान भारत को पाकिस्तान के नजरिए से नहीं देखता। जबीउल्लाह ने कहा कि तालिबान इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण देश के रूप में भारत के साथ अच्छे संबंध चाहता है।