पाकिस्तान ने एक बार फिर खेल कर दिया है। तुर्की में तालिबान के साथ होने वाली अफगान शांतिवार्ता को टाल दिया है। बाईडेन प्रशासन ने कहा था कि एक मई अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी शुरू हो जाएगी। लेकिन बाइडेन की योजना को झटका लग गया है। दरअसल, पाकिस्तान अमेरिका को अफगान मसले पर काफी समय से ब्लैकमेंल करता आ रहा है। अगर एक मई से अमेरिकी सैनिकों की वापसी शुरु हो जाती तो अफगानिस्तान में काम कर रहे आतंकी गुट बेरोजगार हो जाते। अफगानिस्तान में काम खत्म होते ही वो पाकिस्तान का रुख कर सकते थे। ऐसे में अमेरिकी सैनिक तो सुरक्षित निकल जाते लेकिन पाकिस्तान सरकार दुविधा में फंस जाती। इसलिए अमेरिका से पूरा महसूल लिए बिना पाकिस्तान नोटो सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी नहीं होने देना चाहता।
बहरहला, यह बातचीत शनिवार को इस्तांबुल में शुरू होनी थी। इस प्रस्तावित शांति वार्ता के स्थगित होने से अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों की समयबद्ध वापसी को लेकर बाइडन प्रशासन के सामने पेश आ रही चुनौतियां फिर उजागर हुई हैं। अमेरिका ने कहा है कि वह एक मई से अफगानिस्तान में बचे अपने सैनिकों की वापसी शुरू करेगा और इस प्रक्रिया को 11 सितंबर तक पूरी करेगा, चाहे जो हो जाए।तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कावुसोग्लू ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि यह वार्ता रमजान के महीने तक टल गई है। रमजान मई के मध्य में खत्म होगा।
उनकी इस घोषणा से कुछ घंटों पहले ही एक आत्मघाती हमलावर ने काबुल में अफगान सुरक्षा बलों के काफिले पर हमला किया जिसमें पांच लोगों को मौत हो गई। गृह मंत्रालय की तरफ से बताया गया कि घायलों में सुरक्षाकर्मी व असैन्य नागरिक भी शामिल हैं।
हाल के हफ्तों में यह राजधानी में पहला ऐसा हमला था हालांकि अफगान सुरक्षाकर्मियों की लक्षित हत्याओं के मामलों में इजाफा हुआ है और तालिबान विद्रोहियों द्वारा उन्हें निशाना बनाकर किये जाने वाले हमले भी बढ़े हैं। बीते कुछ महीनों में संदिग्ध तालिबानी ठिकानों पर सरकारी बलों द्वारा बमबारी और उपद्रवियों के खिलाफ अफगान विशेष बलों की छापेमारी में भी इजाफा हुआ है। मंत्री ने कहा कि जिस वार्ता के शनिवार को शुरू होने की उम्मीद थी और प्रतिभागियों के बीच “स्पष्टता के अभाव” के कारण स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने हालांकि और विवरण नहीं दिया।