अफगानिस्तान में तालिबान के वापसी के बाद से ही उसके क्रूर कानूनों की भी वापसी हुई। तालिबान का खौफ साफ लोगों में देखा गया और अब भी देखा जा रहा है। जब तालिबान ने वापसी की तो उस दौरान भारी संख्या में लोगों ने देश छोड़कर दूसरे देशों में शरण ले लिया। तालिबान दुनिया के सामने तो ये कहता रहा है कि वो अब बदल गया है लेकिन असल में तालिबान पहले की ही तरह है। महिलाओं को बिना पुरुषों के साथ घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है, जिंस नहीं पहन सकती। बुर्का अनिवार्य कर दिया है। साथ ही कई और क्रूर कानून लागू किए हुआ है। अब तो पुतलों को भी तालिबान नहीं छोड़ रहा है। उन्हें भी शरिया कानून सिखाने पर लगा हुआ है।
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दरअसल, शरिया कानून का उल्लंघन बताते हुए तालिबान ने अब फैसला लिया है कि हेरात प्रांत में कपड़ों की दुकानों पर लगे पुतलों को सिर कलम किया जाएगा। ऐसे वक्त में जब अर्थव्यवस्था, रोजगार, गरीबी, भुखमरी, बैंकिंग व्यवस्था जैसी कई चुनौतियां अफगानिस्तान के सामने हैं,तालिबान के लिए कपड़ों की दुकानों पर दिख रहे इन पुतलों को हटाना बड़ा मुद्दा है। तालिबान का कहना है कि पुतलों का इस्तेमाल करना शरिया कानून का उल्लंघन है। इससे पहले मिनिस्ट्री ऑफ प्रॉपगेशन ऑफ वर्च्यू ऐंड दि प्रिवेंशन ऑफ वाइस ने हेरात प्रांत के सभी दुकानों को पुतले हटाने का आदेश दिया था। लेकिन जब दुकानदारों ने इस आदेश की वजह से भारी नुकसान की शिकायत की तो आदेश में परिवर्तन किया गया और अब पुतलों के सिर कलम करने के लिए कहा गया है।
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इसका घोषणा खुद मंत्रालय के प्रमुख शेख अजीज रहमान ने की है। वहीं, व्यापारियों की माने तो अगर उन्होंने पुतलों के सिर हटा दिया तो भी उन्हें कारोबार में नुकसान का बोझ उठाना पड़ेगा। एक कारोबारी का करना है कि, एक पुतले की कीमत करीब 70 से 100 डॉलर के आसपास होती है. ऐसे में इनके सिर काट देने से बड़ा आर्थिक नुकसान होगा।