अमेरिकी सैनिकों के अफगानिस्तान से निकलते ही तालिबान ने कब्जा कर लिया और इसमें उसको सबसे ज्यादा पाकिस्तान की ओर से मिली। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान लगातार तालिबान की दुनिया के सामने तरफदारी करते आ रहे हैं। पाकिस्तान अपने फैयदे के तौर पर देख रहा था लेकिन क्या पता था कि इसी तालिबान के चलते उसपर हमले तेज हो जाएंगे।
यह भी पढ़ें- Imran Khan के चापलूसी से खुश हुआ तालिबान
एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि, तालिबान के आने के बाद से पाकिस्तान में आतंकी हमले कई गुना बढ़ गए हैं। यहां बीते चार साल में सबसे अधिक हमले हुए हैं। इससे क्षेत्र की सरुक्षा पर बढ़ते संकट को लेकर चिंता जताई जा रही है। क्योंकि आतंकियों के पनपने से व्यापार और निवेश को भारी नुकसान होना एक तरह से तय माना जा रहा है।
दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल द्वारा संकलित आकंड़ों की माने तो, तालिबन ने जब से अफगानिस्ता पर कब्जा किया है तब से पाकिस्तान में आतंकवादी हमले काफी तेजी से बढ़ा है। रिपोर्ट में बताय गया है कि, संयुक्त राज्य की सेना के युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से हटने और तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के बाद, पाकिस्तान में घातक आतंकवादी हमले चार साल से अधिक समय में अपने उच्चतम स्तर तक बढ़ गए हैं।
मीडिया में आ रही खबरों की माने तो, पाकिस्तान में अकेले अगस्त में कम से कम 35 आतंकवादी हमले हुए हैं, जिसमें 52 नागरिकों की मौत हुई है। ये आंकड़े फरवरी 2017 के बाद से सबसे अधिक है। पाकिस्तान में हुए इन हमलों में ज्यादातर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को जिम्मेदार ठहराया गया है। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) तालिबान का ही एक आतंकवादी संगठन शाखा है। इसको लेकर यह भी कहा जाता है कि इसे तालिबान से सहायता मिलता है। इसके साथ ही, टीटीपी को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि, उसका उद्देश्य है कि वह पाकिस्तान में हिंसक सैन्य अभियान चलाकर इस्लामाबाद में सरकार को गिराने की मंसा रखता है। इसके अल-कायदा के साथ कई और आतंकी संगठनों से संबंध हैं।
बता दें कि, दक्षिण एशिया आतंकवाद पोर्टल (SATP) दक्षिण एशिया में आतंकवाद और कम तीव्रता वाले युद्ध पर सबसे बड़ी वेबसाइट है, यह क्षेत्र में सभी चरमपंथी आंदोलनों के अनुसंधान और विश्लेषण के लिए डेटाबेस और विश्लेषणात्मक संदर्भ बनाता है।