Hindi News

indianarrative

ट्रंप के जाने, बाइडन के आने से अमेरिकी नीतियों में ज्यादा बदलाव की गुंजाइश नहीं

ट्रंप के जाने, बाइडन के आने से अमेरिकी नीतियों में ज्यादा बदलाव की गुंजाइश नहीं

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में विजयी हुए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बाइडन की विदेश और आर्थिक नीतियों को अमेरिका के साथ ही दुनिया के बाकी हिस्सों में भी बड़ी उत्सुकता से देखा जाएगा। बाइडन के लिए यह माना गया है कि उनका चीन से साथ बेहतर जुड़ाव रहा है। बहरहाल ट्रंप के जाने, बाइडन के आने से अमेरिकी नीतियों में ज्यादा बदलाव की गुंजाइश नहीं है। दोनों अमेरिकी दलों में से चाहे जो भी सत्ता में आए, भारत-अमेरिका संबंधों के बारे में लगभग 90 प्रतिशत नीतियां समान ही रहेंगी।

चुनाव परिणाम में मामूली अंतर से बाइडन की जीत ने दर्शाया है कि वास्तव में अमेरिकियों की एक बड़ी संख्या ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के '<strong>अमेरिका फर्स्ट'</strong> सिद्धांत का समर्थन किया है।

77 वर्षीय बाइडन राष्ट्रपति के रूप में पद संभालने के लिए सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं, जिनके दूसरे कार्यकाल की संभावना नहीं है। ट्रंप का एजेंडा भी बदलना मुश्किल है, जो लगातार चुनाव की जांच करने की मांग के साथ आलोचना कर रहे हैं। हालांकि बाइडन और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस अधिक सूक्ष्म रणनीति अपना सकते थे, जो विशेष रूप से आव्रजन और व्यापार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों से संबंधित हैं।

विदेश नीति विश्लेषकों ने कहा कि भारत-अमेरिका संबंध अप्रभावित रहेंगे। प्रमित पाल चौधरी के अनुसार, दोनों अमेरिकी दलों में से चाहे जो भी सत्ता में आए, भारत-अमेरिका संबंधों के बारे में लगभग 90 प्रतिशत नीतियां समान ही रहेंगी।
<blockquote class="twitter-tweet">
<p dir="ltr" lang="en">A new day in America has come. Tune in as Vice President-Elect <a href="https://twitter.com/KamalaHarris?ref_src=twsrc%5Etfw">@KamalaHarris</a> and I address the nation. <a href="https://t.co/d38F58DHu8">https://t.co/d38F58DHu8</a></p>
— Joe Biden (@JoeBiden) <a href="https://twitter.com/JoeBiden/status/1325247969780621317?ref_src=twsrc%5Etfw">November 8, 2020</a></blockquote>
<script async src="https://platform.twitter.com/widgets.js" charset="utf-8"></script>

उन्होंने कहा, "बाइडन भारत के लिए अधिक फायदेमंद साबित हो सकते हैं, क्योंकि उनकी ओर से आव्रजन और व्यापार पर थोड़ा अधिक लचीला रुख अपनाने की उम्मीद है। हालांकि ट्रंप ने चीन पर सख्त रुख अपनाते हुए नरेंद्र मोदी सरकार को रक्षा प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्रदान की थी।"

चौधरी ने कहा कि भारत और अमेरिका ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ-साथ क्वॉड (चार देशों का समूह) टीम में भी सक्रिय रूप से शामिल रहे हैं। वाशिंगटन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सीमा संकट के दौरान नई दिल्ली को मजबूत और स्पष्ट सहायता प्रदान की है।

<img class="wp-image-17212 size-large" src="https://hindi.indianarrative.com/wp-content/uploads/2020/11/jo-biden-2-1024×683.jpg" alt="jo biden" width="525" height="350" /> 77 वर्षीय बाइडन राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभालने के लिए सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं।

यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया एंड इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के प्रतिष्ठित फेलो संजय बारू ने इंडिया नैरेटिव डॉट कॉम को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कश्मीर मुद्दे को संभालने और अल्पसंख्यकों के साथ हो रहे कथित बर्ताव पर कई डेमोक्रेट ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा, "हालांकि कोई बड़ा नीति परिवर्तन नहीं होगा, मोदी और उनकी टीम को समान संबंध बनाने के लिए काम करना होगा।

बारू ने कहा कि मानवाधिकारों और अल्पसंख्यकों से बर्ताव के सवाल सामने आएंगे, जिनसे भारत को निपटना होगा। कमला हैरिस, जो ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम में नहीं पहुंची थीं, वह कश्मीर मुद्दे पर मुखर रहीं हैं। उन्होंने पिछले साल एक बयान में कहा था, "हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे दुनिया में अकेले नहीं हैं। हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं।"

अटल बिहारी वाजपेयी इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिसी रिसर्च एंड इंटरनेशनल स्टडीज के निदेशक शक्ति सिन्हा ने कहा कि बाइडन अपने इस कार्यकाल में चीन के प्रति एक नरम नीति को अपना सकते हैं। उन्होंने कहा, "हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा। लेकिन यह संभव है कि छोटी अवधि (शुरुआती दिनों में) में बाइडन एक नरम चीन नीति अपनाएं। हालांकि अंतत: डेमोक्रेट विशेष रूप से चीन के हालिया आक्रमण और मानवाधिकारों के उल्लंघन के साथ यही स्थिति अपनाए नहीं रखेंगे।".