ईरान से बढ़ते खतरों के देखते हुए इजरायल इस वक्त सऊदी अरब (Saudi Arab) से दोस्ती के लिए बैचेन है। यही कारण है कि अमेरिका ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसकी जिम्मेदारी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन को सौंपी है। सुलिवन ने पिछले दो महीने में सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से कई दौर की मुलाकात की है।
इन मुलाकातों को मुख्य मुद्दा सऊदी अरब को चीन से दूर कर अमेरिका के पाले में लाना है। अमेरिका चाहता है कि सऊदी अरब और इजरायल में किसी भी तरह से समझौता हो जाए, जिसका फायदा आगामी राष्ट्रपति चुनाव में देखने को मिल सकता है। वहीं, इजरायल भी सऊदी अरब के साथ दोस्ती के बदले 27 अरब डॉलर का निवेश पैकेज लेकर तैयार है। इस पैकेज से भारत को भी सीधा फायदा होने की उम्मीद है।
सऊदी अरब तक रेल लाइन बिछाएगा इजरायल
इजरायली के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा कि उनका देश 100 बिलियन शेकेल यानी 27 बिलियन डॉलर की धनराशि का रेल नेटवर्क बनाने को तैयार है। यह रेल लाइन सऊदी अरब के बाहरी इलाकों को सीधे इजरायल के तेल अवीव से जोड़ेगा। यह घोषणा सऊदी अरब और इजरायल के बीच औपचारिक संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए पिछले हफ्ते शीर्ष अमेरिकी अधिकारियों के सऊदी अरब की यात्रा के बाद की गई है। साप्ताहिक इजरायली कैबिनेट की बैठक को संबोधित करते हुए नेतन्याहू ने देश में लंबे समय से जारी संवैधानिक संकट को दरकिनार करते हुए विदेश नीति पर जोर दिया। इस संकट ने सात महीनों से इजरायल को परेशान कर रखा है।
भारत को भी फायदा
दरअसल, खाड़ी देशों में चीन के प्रभाव को खत्म करने के लिए अमेरिका ने भारत को अपना साथी बनाया है। भारत की तरफ से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अमेरिका, सऊदी अरब और यूएई के अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठक की है। व्हाइट हाउस चाहता है कि भारत सऊदी अरब और यूएई में रेल लाइन बिछाए। खाड़ी देशों में भारतीय रेल नेटवर्क का विचार पिछले 18 महीनों में I2U2 नामक एक फोरम में बातचीत के दौरान सामने आया। इसमें अमेरिका, इजरायल, संयुक्त अरब अमीरात और भारत शामिल हैं। अगर इजरायल से लेकर सऊदी अरब तक रेल नेटवर्क बन जाता है तो भारत को खाड़ी देशों के साथ व्यापार में बड़ा फायदा होगा।
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