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India-Israel: बॉर्डर पर ही नहीं खेतों में इंडिया के साथ खड़ा दिखाई देगा इसराइल, देखें यह रिपोर्ट

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इजरायल और भारत के बीच कृषि क्षेत्र में लगातार वृद्धि कर रही साझेदारी को और आगे बढ़ाते हुए, दोनों सरकारों ने कृषि में अपने सहयोग को और मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की है। दोनों देशों की सरकारों ने कृषि सहयोग में विकास के लिए तीन साल के कार्य योजना समझौता पर हस्ताक्षक किए हैं। इस समझौते ने दोनों देशों के बीच तकनीक के आदान-प्रदान से उत्पादनकता व बागवानी की गुणवत्ता में बहुत सुधार होगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी।

इजराइल के नए कृषि प्रोग्राम का लक्ष्‍य मौजूदा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को बढ़ाना, नए केंद्र स्‍थापित करना, आत्मनिर्भर बनाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा सहयोग को प्रोत्‍साहित करना है। इंडो-इजराइल विलेजिज ऑफ एक्‍सीलेंस एक नई संकल्‍पना है। जिसका लक्ष्‍य 8 राज्‍यों के 75 गांवों में 13 सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस के समीप कृषि में इकोसिस्‍टम विकसित करना है। इससे परंपरागत खेत इंडो-इजराइल एग्रीकल्‍चरल प्रोजेक्‍ट के मानकों के आधार पर आधुनिक-सघन फार्मों में बदल जाएंगे।

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, यह 5वां आईआईएपी (इंडो-इजराइल एग्रीकल्चरल प्रोजेक्ट) सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बागवानी क्षेत्र में कृषक समुदाय को लाभ देगा। सबसे पहले आईआईएपी पर वर्ष 2008 में 3 साल के लिए हस्‍ताक्षर किए गए थे। अब तक हम 4 कार्ययोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी कर चुके हैं। इजरायली तकनीकों पर आधारित इन कार्ययोजनाओं के तहत स्‍थापित सीओई (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) अब तक बहुत सफल रहे हैं। यह किसानों की आय दोगुनी करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

किसानों को मिलेगा लाभ

भारत में इजराइल के राजदूत डॉ. रोन मलका ने कहा कि यह तीन-वर्षीय कार्यक्रम हमारी बढ़ती भागीदारी की मजबूती को दर्शाता है। इसके जरिए स्थानीय किसानों को लाभ पहुंचेगा। वहीं, कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि नए कार्यक्रम के दौरान हमारा ध्‍यान सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के आसपास के गांवों को विलेजिज ऑफ एक्‍सीलेंस में बदलने पर केंद्रित रहेगा। इजराइल रक्षा क्षेत्र के साथ-साथ कृषि तकनीक में भी काफी आगे है। दोनों देशों में बहुत गहरे संबंध हैं।

भारत में इजराइल आईआईएपी के अलावा इंडो-इजराइल विलेजिज ऑफ एक्‍सीलेंस प्रोग्राम भी चला रहा है। एकीकृत बागवानी विकास मिशन और अंतर्राष्‍ट्रीय विकास सहयोग के लिए इजराइल की एजेंसी 'मशाव' नेतृत्‍व कर रही है। भारत में खासतौर पर इजराइल की टपकन सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) पद्धति से किसानों को काफी फायदा मिला है।

स्‍थानीय जलवायु परिस्थितियों को ध्‍यान में रखते इजराइल की कृषि-तकनीक से तैयार उन्नत-सघन कृषि फार्मों को कार्यान्वित करने के लिए भारत के 12 राज्‍यों में 29 सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस (सीओई) काम कर रहे हैं। सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस किसानों को सर्वोत्‍तम पद्धतियों का प्रदर्शन दिखाते हैं। यहां किसानों को ट्रेनिंग भी मिलती है जिसके तहत वो खेती के बारे सिखते हैं।

सेंटर ऑफ एक्‍सीलेंस हर साल 25 मिलियन से अधिक गुणवत्‍तायुक्‍त सब्‍जी व 387 हजार से ज्यादा फल के पौधों का उत्‍पादन करते हैं। बागवानी क्षेत्र में नवीनतम तकनीक के बारे में हर साल 1.2 लाख से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग देते हैं।