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पाकिस्तान में राजद्रोह का मौसम

पाकिस्तान में राजद्रोह का मौसम

पाकिस्तान में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गयी हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ विरोधी दलों के नये संगठन पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) की पहली रैली 16 अक्टूबर से शुरु हो रही है। यह सब कुछ तब हो रहा है जब इमरान खान को इत्मीनान हो चुका था कि पाकिस्तान में उन्होंने सभी विरोधी पार्टियों को पंगु बना दिया है।

लेकिन पूर्व अपदस्थ प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इमरान और खासकर उनके आका बड़े बाजवा यानि पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की और कुछ हद तक कामयाब भी रहे। दो दिन पहले नवाज शरीफ, उनकी बेटी मरियम, भाई शहबाज सहित पीएमएल-एन पार्टी के कई बड़े नेताओं के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज हो गया।

एफआईआर में नवाज शरीफ के खिलाफ संगीन आरोपों की लंबी लिस्ट है। उनका सबसे बड़ा जुर्म पाकिस्तानी आर्मी की तीखी और करारी आलोचना करना है। जिस देश के बारे में कहा जाता है कि उसे अल्लाह और आर्मी चला रहे हैं, वहां आर्मी के खिलाफ बोलना..तौबा-तौबा। देशद्रोह का आरोप तो लगना ही था। उनका दूसरा अपराध पाकिस्तान की मिसाइल तकनीक का राज खोलना है। एफआईआर के मुताबिक नवाज शरीफ ने पाकिस्तान की टॉमहॉक मिसाइल प्रोग्राम की पोल खोल दी है।

नवाज शरीफ ने लंदन से अपने भाषण में कहा था, "ये जो टॉमहॉक है वो भी माशाअल्लाह नवाज शरीफ ने बनवाया था, वो भी बलूचिस्तान से हम लेकर आए थे। जब क्लिंटन ने अफगानिस्तान पर रॉकेट्स चलाए थे और मिसाइल गिराए थे, तो एक साबित (बिना फटे) मिल गया। उसको हम लेकर आए, उसकी बैक इन इंजीनियरिंग हुई और उसको हमने बना दिया। कोई छोटे-मोटा दिमाग नहीं है हमारा। हमें फक्र है कि हमने यह किया है।"

अब तक पाकिस्तान पर चोरी से परमाणु तकनीक हासिल करने के आरोप लगते रहे हैं लेकिन नवाज शरीफ के मिसाइल चोरी के कबूलनामे से पाकिस्तानी आर्मी चीफ बौखला गए हैं। फौरन इमरान खान ने नवाज शरीफ के भाषणों के प्रसारण पर रोक लगा दी, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। नवाज शरीफ इन दिनों लंदन में हैं और पाकिस्तान सरकार उन्हें भगोड़ा घोषित कर चुकी है। उन्हें वापस लाने की कवायद भी जारी है लेकिन ब्रिटेन के साथ प्रत्यार्पण संधि नहीं होने के कारण यह भी संभव नहीं।

इमरान खान ने पाकिस्‍तान के एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, "नवाज शरीफ एक खतरनाक खेल खेल रहे हैं। अल्‍ताफ हुसैन ने भी इसी तरह का खेल खेला था। मुझे 100 फीसद विश्‍वास है कि भारत पीएमएल-एन नेता नवाज शरीफ की मदद कर रहा है। अगर हमारी सेना कमजोर होती है तो यह किसके हित में है।"

इमरान खान ने अल्ताफ हुसैन का नाम लेकर नवाज शरीफ को यह संदेश दिया कि उनका अंजाम भी कुछ ऐसा ही होगा। मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) के चीफ अल्ताफ हुसैन पिछले 40 सालों से लंदन में निर्वसन की जिंदगी जी रहे हैं। उन्हें कराची का बेताज बादशाह कहा जाता है। पिछले महीने उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से अपील की थी कि उन्हें भारत आकर रहने की इजाजत दी जाए।

एमक्यूएम मुख्य रूप से उर्दू भाषी या बंटवारे के बाद भारत से आकर पाकिस्तान में बसे लोगों की पार्टी मानी जाती है। पार्टी का कराची और इसके आसपास के क्षेत्रों में तीन दशकों से दबदबा रहा है। उनकी पकड़ का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2013 में संसद के चुनाव में पार्टी को 25 सीटें मिली थीं। 2018 में उन्होंने चुनाव का बहिष्कार किया। उनका कहना था कि पाकिस्तानी सेना यह चुनाव लड़वा रही है। सरकार किसी की भी रही,अल्ताफ हुसैन सबके लिए दुश्मन ही रहे।

पिछले दिनों उन्होंने अमेरिका सहित सभी देशों से अपील की थी पाकिस्तान को किसी भी तरह की सहायता न दें। उनका कहना है कि "पाकिस्‍तान ने सिंध, बलूचिस्तान, केपीके, गिलगिट और बाल्टिस्तान क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है। सेना का बर्बर-क्रूर दमन जारी है।" पाकिस्तानी आर्मी ने अल्ताफ को भारतीय एजेंट करार देते हुए उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दायर कर रखा है।

पाकिस्तान में कुछ लोगों का मानना है कि नवाज शरीफ का अंजाम भी अल्ताफ हुसैन की तरह न हो जाए। इसके पहले भी नवाज शरीफ को देश से बाहर रहना पड़ा था लेकिन उन्होंने सीधे तौर पर पाकिस्तानी आर्मी पर कोई इल्जाम नहीं लगाया था। इस साल जनवरी में उनकी पार्टी ने उस बिल का समर्थन किया गया था जिसमें प्रधानमंत्री को यह अधिकार दिया गया है कि वो आर्मी चीफ के कार्यकाल को अनिश्चित समय तक के लिए बढ़ा सकते हैं। इसके बाद कहा जा रहा था कि नवाज शरीफ और आर्मी के बीच सुलह का रास्ता खुल गया लेकिन रिश्ते और भी खराब हो गए।

पाकिस्तानी लेखक मोईन निजामी का मानना है कि नवाज शरीफ एक रणनीति के तहत काम कर रहे हैं, "आप देखिए, नवाज शरीफ को जिया उल हक ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के खिलाफ खड़ा किया था। लेकिन नवाज शरीफ यह बात समझ गए कि आर्मी की सवारी से वो ज्यादा टिक नहीं सकते। इसीलिए जब भी वो प्राईम मिनिस्टर बने, आर्मी को सिविल एडमिनिस्ट्रेशन से दूर करने की कोशिश की, आर्मी पर हावी होने की कोशिश की। लेकिन इस बार तो उन्होंने सीधा चैलेंज ही कर दिया और यह बात आर्मी इस्टाब्लिशमेंट को गवारा नहीं। यही मैसेज मियां साहब जनता को दे रहे हैं कि पाकिस्तान के हालात के लिए आर्मी कसूरवार है।"

पाकिस्तानी पत्रकार अब्बास नासिर के मुताबिक, "नवाज साहब ने एक बड़ा दांव खेला है। पाकिस्तान के हालात खराब हैं, FATF की तलवार सिर पर है। सऊदी अरब से रिश्ते अच्छे नहीं हैं, मोदी जी का खौफ भी है, और चीन का दबाव है। अगर ऐसे वक्त में वो लौटते तो इमरान तो उन्हें जेल में सड़ा देता। तो बाहर रह कर उन्होंने अपनी पॉलिटिक्स करना सेफ समझा।"

जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान की राजनीति में सिवाए सुन्नी धार्मिक नेता और सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी जमियत-ए-इस्लाम (JUIF) के चीफ फजलुर रहमान के और किसी में आर्मी की आलोचना करने की हिम्मत नहीं है। ऐसे में नवाज शरीफ और रहमान का एक साथ आना मायने रखता है। रहमान के नेतृत्व में पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट के अंतर्गत नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग, बिलावल भुट्टो की पीपुल्स पार्टी समेत सभी बड़ी विपक्षी पार्टियां एकजुट हो चुकी हैं। इस संगठन ने इमरान सरकार के खिलाफ आजादी मार्च  रैली निकालने की घोषणा की है जो 16 अक्टूबर को क्वेटा से इस्लामाबाद के लिए रवाना होगी।

इमरान खान अपने और पाकिस्तानी फौज के खिलाफ बोलने वालों को गद्दार करार दे रहे हैं। वो बार-बार पाकिस्तान की जनता को कह रहे हैं कि "आर्मी से बड़ा देशभक्त कोई नहीं, पाकिस्तानी सेना देश को एकजुट रखे हुए है और नवाज शरीफ देश की मिलिट्री इस्टाब्लिशमेंट पर लगातार हमला कर रहे हैं। आप लीबिया, सीरिया, इराक, अफगानिस्तान और यमन को देख लीजिए। पूरी मुस्लिम दुनिया लड़ाइयों में उलझी है। हम क्यों सेफ हैं? अगर हमारे पास इतनी अच्छी आर्मी नहीं होती तो हमारा मुल्क भी अब तक तीन हिस्सों में बंट चुका होता।"

पाकिस्तानी आर्मी और इमरान खान को पता है कि मियां नवाज शरीफ की गैरहाजरी में उनके खिलाफ मुकदमा सिर्फ औपचारिकता है। सबसे बड़ी चुनौती है एकजुट होते विपक्षी पार्टियों को रोकना और यह इतना भी आसान नहीं। बहरहाल सर्दी से पहले पाकिस्तान में देशद्रोह करार दिए जाने का मौसम जारी है। खबर है कि पाक अधिकृत कश्मीर (POK) जिसे पाकिस्तान आजाद कश्मीर कहता है, वहां के प्रधानमंत्री राजा फारुख का नाम भी राजद्रोह करने वालों की लिस्ट में शामिल है।.