चीन के वैश्विक बहिष्कार की शुरुआत हो चुकी है। कारण शिनजियांग में उईगर मुसलमानों पर अत्याचार हैं। यूरोपिनय पार्लियामेंट से सदस्यों ने कहा है कि चीन में मानवाधिकारों के हनन का मामला चरम पर है। इसलिए चीन में होने वाले शीत कालीन ओलंपिक का बहिष्कार होना चाहिए। ईयू के बाद अमेरिका और ब्रिटेन भी चीन के बहिष्कार का ऐलान करने वाला है। ईयू ने चीन पर आर्थिक प्रतिबंधों का आह्वान किया है। ईयू ने हांग-कांग में लोकतंत्र की हत्या को मुद्दा बनाया है।
यूरोपीयन संसद ने चीन के साथ प्रत्यर्पण संधि को तत्काल प्रभाव से खत्म करने और बीजिंग ओलंपिक के डिप्लोमेटिक बॉयकॉट का आह्वान भी किया। यूरोपीय संसद के चीन प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष जर्मनी के रेइनहार्ड बुटिकोफर ने इस प्रस्ताव को पेश करते हुए कहा कि यूरोपीय संसद में इन मुद्दों पर आम सहमति बहुत मजबूत है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ेंगे कि यूरोप में सदस्य राज्य सरकारें भी एक अडिग रुख अपनाएं।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने इस प्रस्ताव पर कहा कि चीन खेल के राजनीतिकरण और मानवाधिकारों के मुद्दों को बहाने के रूप में इस्तेमाल करके हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का कड़ा विरोधकरता है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रेरणा से बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक खेलों की तैयारी और आयोजन को बाधित करने और तोड़फोड़ करने का प्रयास बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। चीन ने कहा कि इससे सिर्फ सभी देशों के एथलीटों और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक केहितों को नुकसान पहुंचेगा।
यूरोपीय संसद के इस प्रस्ताव को चीन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। पिछले कुछ साल से चीन यूरोपीय देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में जुटा हुआ है। चीन की योजना यूरोप में अमेरिका की खाली की हुई जगह को भरना है। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका का यूरोपीय देशों के साथ कई मुद्दों पर विवाद हुआ था।